महंगाई दर लगातार तीसरे महीने 7 प्रतिशत से ऊपर चल रही है, जिसे देखते हुए मजदूर संगठन इस मसले पर केंद्र को घेरने की कवायद तेज कर रहे हैं।
इन विरोध प्रदर्शनों के क्रम में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से जुड़ा सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) 1 अगस्त से सामूहिक जागरण अभियान शुरू करने जा रहा है। यह अभियान 75वें स्वतंत्रता दिवस को एक दिन के धरने पर खत्म होगा।
सीटू के राष्ट्रीय सचिव उमेश केएन ने कहा, ‘ऑल इंडिया किसान सभा व अन्य कृषि कागमारों के साथ 5 सितंबर को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जहां हमारी भविष्य की योजनाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा।’
अन्य श्रमिक संगठन भी आने वाले महीनों में कामगारों को एकजुट करने की योजना बना रहे हैं।
इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) अगले सप्ताह आयोजित प्रमुख समिति की बैठक में 14 बिंदु के एजेंडे पर विचार करेगा, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी और न्यूनतम वेतन के मसले शामिल होंगे।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के प्रशासी निकाय के सदस्य और इंटक के उपाध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा, ‘महंगाई चरम पर है औरर सरकार को इसे नियंत्रण में लाने के लिए काम करना चाहिए। सरकार के खिलाफ इंटक सड़कों पर लड़ाई लड़ेगी।’
सोमवार को समाप्त हुई ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक में सेक्टर वार (जैसे बैंकिंग, स्टील, सीमेंट आदि) कामगारों के मसले उठाने का फैसला किया गया है। एआईटीयूसी भी 1 अगस्त से व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाएगी और स्वतंत्रता दिवस पर इसका समापन करेगी।
एटक की जनरल सेक्रेटरी अमरजीत कौर ने कहा, ‘हमने अपना प्रस्ताव तैयार किया है और इसे प्रधानमंत्री को सौंपेंगे। सेंट्रल ट्रेड यूनियन श्रम संहिता को खत्म करने की मांग कर रहा है। अब हमारी लड़ाई और तेज होगी।’ उन्होंने कहा कि मजदूरी कम होने और महंगाई बढ़ने से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 90 प्रतिशत लोगों की जिंदगी कठिन हो गई है।
बीएमएस सहमत नहीं
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बढ़ती महंगाई के मसले पर हाल में कहा था कि कीमतों की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार नजर बनाए हुए है और महंगाई को काबू में लाने के लिए पहले ही कदम उठाए गए हैं, जिनमें पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क कम किया जाना, गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध, कुछ कच्चे खाद्य तेल के शुल्क मुक्त आयात और स्टील व इनसे बने उत्पाद के शुल्क ढांचे में बदलाव शामिल है। उन्होंने कहा, ‘महंगाई पर काबू पाने की कवायद जारी रहेगी।’
लेकिन सरकार की इन कवायदों से भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) संतुष्ट नहीं है। संगठन अगस्त के अंतिम सप्ताह में भुवनेश्वर में होने जा रही अपनी राष्ट्रीय बैठक में इस मसले पर चर्चा की योजना बनाई है। सरकार की कवायदों को ईमानदारी से न किया गया और नाकाफी बताते हुए बीएमएस के महासचिव विनय कुमार सिंह ने कहा, ‘आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और बढ़ती महंगाई से स्थिति और बिगड़ रही है। सरकार पेट्रोल व डीजल को वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाने में भी असफल रही है।’ लोगों में जागरूकता लाने के लिए बीएमएस जन जागरण अभियान लाएगा। पीएसयू के कॉर्पोरेटीकरण, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा के मसले पर संगठन नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करेगा।
आम हड़ताल की योजना नहीं
श्रम संगठन कुछ खास मसलों पर लोगों को जागरूक करने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन आम हड़ताल की कोई योजना नहीं है। बहरहाल यूनियन के नेताओं ने कहा कि इस तरह के राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किए जा सकते हैं, अगर सरकार तेजी से काम नहीं करती है। सीटू के जनरल सेक्रेटरी तपन कुमार सेन ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर हड़ताल रोजमर्रा का मसला नहीं है, लेकिन आने वाले समय में इस तरह के प्रदर्शन हो सकते हैं। सभी मजदूर संगठनों के एक मंच पर आने के मसले पर एटक की कौर ने कहा कि सेंट्रल ट्रेड यूनियन ऑर्गेनाइजेशन (सीटीयूओ) इस मसले पर चर्चा क लिए एक सप्ताह में बैठक करेगा।