मुंबई के पूर्वी उपनगर मुलुंड में कभी 1,650 बिस्तरों वाला एक विशाल कोविड19 केंद्र अब सुनसान सा नजर आ रहा है। रिचर्डसन ऐंड क्रडस कारखाना परिसर में बनाए गए इस केंद्र में उपकरण लेने के लिए आने वाले लोग और कुछ सुरक्षाकर्मी ही दिखाई देते हैं जबकि एक समय था जब यहां बहुत भीड़भाड़ रहा करती थी।
केंद्र में एक सुरक्षा गार्ड ने कहा कि जुलाई 2020 में केंद्र का परिचालन शुरू होने के समय कोविड19 के सबसे अधिक मामले आ रहे थे, और 150-200 कोरोना मरीजों को प्रतिदिन यहां भर्ती किया जाता था। उसने बताया कि हर दिन वे लोग भी खुद अपने हाथों से मरीजों का इलाज संबंधी काम करते थे।
मुलुंड केंद्र के डीन अभय नाइक ने कहा कि बड़ी संख्या में उपकरण शहर के सार्वजनिक अस्पतालों में भेज दिए गए हैं। अस्पतालों ने अपनी जरूरत की सामग्री के लिए सूची दी थी और उनमें से बहुत कुछ वहां पहुंचा दिए गए हैं। कुछ को सेवन हिल्स अस्पताल (बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी से संबद्ध) भेजा गया है। बाकी को शहर के तैयार हो रहे बीएमसी अस्पतालों में भेजा जाएगा। केंद्र के एक कोने में बड़ी संख्या में इकट्ठा किए गए अस्पताल के बिस्तरों को देखा जा सकता है जिन्हें एक अस्पताल में भेजा जाना है।
बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त (स्वास्थ्य) संजीव कुमार का कहना है कि मुंबई के उन सभी नौ बड़े कोविड19 केंद्रों को बंद किया जा रहा है, जिनमें 12,000 से अधिक बेड थे। इन केंद्रों ने दवाओं और उपकरणों के अपने स्टॉक की सूची बनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ को शहर के मौजूदा सार्वजनिक अस्पतालों में भेज दिया गया है, और वह राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से भी उनकी तत्काल आवश्यकता को समझने के लिए बात कर रहे हैं।
बीएमसी संवेदनशील उपकरण जैसे वेंटिलेटर आदि को तुरंत भेज देगा क्योंकि उनके भंडारण से खराबी आ सकती है। अंधेरी के सेवन हिल्स अस्पताल में अभी भी 1,850 कोविड-19 बेड, 300 बेड का आईसीयू और 198 वेंटिलेटर हैं।
शहर प्रशासन को अब विश्वास है कि यदि आने वाले महीनों में कोविड मामले बढ़ते हैं तो वे अस्पताल के मौजूदा बुनियादी ढांचे में ही सि्थति को संभालने में सक्षम होंगे। इन अस्थायी केंद्रों को खत्म करने का विचार मार्च के आसपास लिया गया था, लेकिन जून-जुलाई के दौरान मामलों में बढ़ोतरी के कारण कुछ देरी हुई। उस समय कुछ केंद्रों को फिर से सक्रिय किया गया था।
अस्पतालों में रोजाना भर्ती होने वालों की संख्या अभी कम है। मसलन 10 अक्टूबर को केवल 11 मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी। अभी उपलब्ध 18,475 बिस्तरों में से केवल 60 बिस्तरों पर ही मरीज भर्ती हैं। अस्थायी कोविड19 केंद्रों को सिर्फ मुंबई में ही खत्म नहीं किया जा रहा है, जबकि ऐसा देश भर में सब जगह हो रहा है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 92 फीसदी मामलों में बीमारी के हल्के लक्षण थे। केवल लगभग 5.8 फीसदी मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता थी और केवल 1.7 फीसदी मरीजों में गहरी बीमारी का खतरा देखा गया। कुल कोविड मामलों के शीर्ष पांच राज्य महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश हैं।
राज्यों में, तमिलनाडु ने अपने चिकित्सा ढांचे को मजबूत करते हुए, कोविड19 के अधिकतम मामलों के दौरान 100,000 अस्थायी बेड बनाए थे। राज्य ने इन केंद्रों को बंद करने और उपकरणों को वितरित करने के बारे में स्थानीय निकायों को निर्णय लेने का काम सौंप दिया था। सार्वजनिक भवनों, स्कूलों, कॉलेजों और व्यापार केंद्रों में बने अस्थायी केंद्रों को फिर से उनके संबंधित संस्थानों को सौंप दिया गया।
तमिलनाडु में सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा के निदेशक टी एस सेल्वाविनयगम ने कहा कि यह काम अधिकतर चेन्नई निगम सहित स्थानीय निकायों द्वारा किया गया था। सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित सरकारी संस्थानों में बेड, गद्दे और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसे चिकित्सा उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।
कर्नाटक ने भी बेंगलूरु में 2,000 बेड के एक अस्थायी आईसीयू वेंटिलेटर अस्पताल की शुरुआत की थी। राज्य ने मैसूरु, हुबली, बीदर, बेलागावी और शिवमोगा में 250 बेड वाले केंद्र भी तैयार किए थे। दिल्ली में उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक निदेशक शुचिन बजाज ने कहा कि 1,000 बेड वाले कोविड19 केंद्र को छह महीने पहले बंद कर दिया गया है।
