आज भी डीजल और पेट्रोल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पिछले कई महीनों से डीजल और पेट्रोल की कीमतें लगभग स्थिर बनी हुई हैं। अप्रैल में कीमते शतक को पार कर गई थीं। इसके बाद लोगों को ईंधन की महंगाई से निजात देने के लिए सरकार ने अपने उत्पाद शुल्क में कटौती कर दी थी।
डीजल और पेट्रोल के दाम वैश्विक बाजार के अनुसार तेल कंपनियां तय करती है। इस पर कई अंतरराष्ट्रीय कारको का भी प्रभाव पड़ता है। जैसा कि अभी हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल के दामों में कमी आई थी। क्योंकि इस युद्ध के कारण कच्चे तेल की मांग प्रभावित हुई थी। आज के लिए नई दिल्ली में डीजल का दाम 89.66 रुपये और पेट्रोल का दाम 96.76 रुपये है। भारत में डीजल और पेट्रोल की मांग में वृद्धि हुई लेकिन फिर भी दाम अभी स्थिर बने हुए है।
मेट्रो और अन्य प्रमुख शहरों में आज के दाम (रुपया प्रति लीटर):
शहर
पेट्रोल
डीज़ल
दिल्ली
96.76
89.66
मुंबई
106.29
94.25
चेन्नई
102.62
94.22
कोलकाता
106.01
92.74
लखनऊ
96.55
89.74
भोपाल
108.63
93.88
हैदराबाद
109.64
97.8
बेंगलुरू
101.92
87.87
गुवाहाटी
95.99
83.92
गांधीनगर
96.62
92.36
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें सात महीने के निचले स्तर पर आ गई हैं। लेकिन भारत में पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसकी वजह यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने लागत में बढ़ोतरी के बावजूद करीब पांच माह तक नुकसान झेलते हुए पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की थी।
मंदी की आशंका के बीच फरवरी की शुरुआत के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड पिछले सप्ताह 90 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया। उसके बाद से यह कुछ सुधार के साथ 92.84 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। जो छह महीने का निचला स्तर है।
रूस द्वारा नॉर्थ स्ट्रीम पाइपलाइन को बंद रखने और कच्चे तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और उसके सहयोगियों (ओपेक +) के उत्पादन में कटौती जैसे कदमों के बावजूद कीमतों में गिरावट आई है।
हालांकि, इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। रिकॉर्ड 158 दिन से पेट्रोल और डीजल कीमतों में बदलाव (फ्रीज) नहीं हुआ है। पेट्रोलियम कीमतों में बदलाव नहीं होने के सवाल पर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में तेजी की वजह से दाम नहीं बढ़ाने के चलते जो नुकसान हुआ था, उसकी वजह से अब ये कंपनियां कीमतें नहीं घटा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘जब अंतरराष्ट्रीय कीमतें ऊंची थीं, हमारी (पेट्रोल और डीजल) कीमतें पहले ही कम थीं। ‘क्या हमने अपने सारे नुकसान की भरपाई कर ली है?’
हालांकि, उन्होंने छह अप्रैल से दरों को स्थिर रखने से हुए नुकसान के बारे में विस्तार से नहीं बताया। भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल का भाव आठ सितंबर को 88 डॉलर प्रति बैरल बैठ रहा था। अप्रैल में यह औसत 102.97 अरब डॉलर प्रति बैरल और उसके बाद के महीने में यह 109.51 डॉलर प्रति बैरल था। जून में यह 116.01 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। जुलाई से अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट आना शुरू हुई। उस समय भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल का औसत भाव 105.49 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। अगस्त में यह 97.40 डॉलर प्रति बैरल और सितंबर में अब तक 92.87 डॉलर प्रति बैरल पर है।