जान बचने का जश्न तो सभी मनाते हैं, लेकिन कभी-कभी जश्न भी जान बचा लेता है। यकीन नहीं होता, तो नामी कंपनी डाबर के आला अफसरों से पूछिए, जिनकी जान आतंकी हमलों से बाल-बाल बची।
दरअसल फेमकेयर फार्मा का अधिग्रहण करने के बाद डाबर की शीर्ष टीम सौदे पर अंतिम दस्तखत करने के लिए मुंबई गई थी। मंगलवार की शाम को सभी लोग मुंबई पहुंचे।
उनमें छह लोग ताज होटल में ठहरे और बाकी ट्राइडेंट होटल चले गए। उनका इरादा तकरीबन एक हफ्ते तक इन्हीं दोनों होटलों में ठहरने का और अपनी छुट्टियों का पूरा लुत्फ उठाने का था।
बुधवार को दिन में उन्होंने अधिग्रहण का समझौता पूरा किया। समझौते पर दस्तखत के बाद उन्होंने जश्न मनाने का इरादा किया। सबसे पहले वे लोग होटल में लौटे।
हालांकि होटल में भी जश्न मनाने का पूरा इंतजाम था, लेकिन उसके लिए इन दोनों होटलों में ठहरने के बजाय उन्होंने बाहर का रुख कर लिया और एक अन्य नामी रेस्टॉरेंट में चले गए। रात तकरीबन साढ़े आठ बजे वे लोग रेस्टॉरेंट में पहुंचे।
अभी उनका जश्न शुरू ही हुआ था कि उन्हें पता चला कि मुंबई में हमले हो गए हैं। टेलीविजन पर देखा, तो पता चला कि ये हमले भी उन्हीं होटलों में हुए थे, जहां वे ठहरे थे।
होटल ताज और ट्राइडेंट से आतंकियों की गोलीबारी और आगजनी की तस्वीरें उनके सामने टीवी स्क्रीन पर आने लगीं।
घबराए अफसरों ने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया और कंपनी के गेस्ट हाउस का रुख किया। बदहवासी का आलम यह था कि उनमें से कोई भी मुंबई में ठहरने के लिए तैयार नहीं था।
उन्होंने अपना सामान होटलों में ही पड़ा रहने दिया और गुरुवार की दोपहर हवाई रास्ते से दिल्ली लौट आए।