सार्स-सीओवी-2 वायरस के ब्राजीली और दक्षिण अफ्रीकी स्वरूपों के भारत में पाए जाने की खबरों के बाद टीका निर्माता कंपनियां, वायरस के नये प्रकार पर अपने टीकों के परीक्षण की तैयारी कर रही हैं। ये परीक्षण प्रयोगशाला में किए जाएंगे। कैडिला हेल्थकेयर के संभावित टीके जेडवाईसीओवी-डी के परीक्षण का तीसरा चरण चल रहा है तथा एक अन्य मीजल्स वेक्टर आधारित टीके का चिकित्सकीय परीक्षण शुरू होने हैं। कंपनी के चेयरमैन पंकज पटेल ने कहा कि चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान वायरस के बदलते स्वरूप पर परीक्षण संभव नहीं है क्योंकि देश में इसका प्रसार नहीं हुआ है। भारत में अब तक दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के चार कोविड-संक्रमित और ब्राजीलियन स्वरूप का एक संक्रमित पाया गया है।
हालांकि पटेल ने कहा कि प्रयोगशाला में यह परीक्षण किया जाएगा कि कंपनी का टीका इन बदले स्वरूप वाले वायरस पर कारगर हैं या नहीं। कंपनी का संभावित टीका यदि नए बदले स्वरूप पर कारगर नहीं होता तो कंपनी नए किस्म के टीके बनाने की योजना बना रही है। पटेल के मुताबिक चूंकि कैडिला हेल्थकेयर का टीका डीएनए-प्लाज्मिड तकनीक पर आधारित है इसलिए नए टीके तेजी से बनाए जा सकते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) पहले ही कह चुकी है कि पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान वायरस के दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप को प्रयोगशाला में अलग-थलग करने की प्रक्रिया में है। आईसीएमआर की योजना है कि देश में टीका लगवा चुके लोगों के सीरम के नमूने लेकर प्रयोगशाला में यह परीक्षण किया जाए कि वे नए प्रकार केे वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडी बना पाते हैं या नहीं।
