एक हाथ में भाला थामे चौड़े कंधों वाले नीरज चोपड़ा ने पूरी रफ्तार भरने के बाद जब भाला उछाला तो वह मानो टोक्यो के आसमान की बुलंदियां छूने चल पड़ा। भाला फेंकते ही अपनी रफ्तार को काबू में करने और फाउल लाइन के पार जाने से खुद को रोकने के लिए नीरज जमीन पर आ गए और पलक झपकते ही पीछे मुड़ गए। खुशनुमा मुस्कान वाले इस एथलीट ने हवा चीरते भाले पर एक लम्हे के लिए सधी नजर डाली और दूसरे ही पल अपनी बाहें फैला दीं।
7 अगस्त यानी शनिवार की शाम को कुछ ही सेकंड में 23 साल के इस कद्दावर फौजी ने ओलिंपिक ट्रैक ऐंड फील्ड में 100 साल से पदक के लिए तरस रहे भारत का अरमान ही पूरा नहीं किया बल्कि दमखम, आत्मविश्वास, रुआब और खूबसूरत चेहरे के साथ भारतीय खेलों को नया सुपरस्टार मिलने का ऐलान भी कर दिया।
ओलिंपिक में दमदार प्रदर्शन करने वाले चोपड़ा को कंपनियों ने भी हाथोहाथ लिया है। महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने इस जेवलिन खिलाड़ी को तोहफे में एसयूवी देने का वादा किया है। एडटेक दिग्गज बैजूज ने 2 करोड़ रुपये के पुरस्कार का ऐलान किया है तो इंडिगो एयर ने एक साल तक मुफ्त हवाई यात्रा की पेशकश की है।
ब्रांड विशेषज्ञों के अनुसार चोपड़ा भारत के उन श्रेष्ठï या एलीट एथलीटों की जमात में शामिल हो गए हैं, जो ब्रांडों के विज्ञापन के लिए अच्छी फीस लेते हैं। उनका कहना है कि सोना झटकने वाला यह नौजवान बाकी एथलीटों को मात दे सकता है और क्रिकेट के शीर्ष खिलाडिय़ों को भी टक्कर दे सकते हैं। इमेज गुरु दिलीप चेरियन ने कहा कि चोपड़ा फिलहाल ब्रिटिश इलेक्ट्रॉनिक्स के ब्रांड एंबेसेडर हैं। लेकिन टोक्यो में मैदान मारने के बाद उनके ब्रांड की कीमत सातवें आसमान पर पहुंच सकती है। उन्होंने कहा, ‘ट्रैक ऐंड फील्ड में सोना विरले खिलाड़ी ही जीत पाते हैं। ऐसे में ब्रांडिंग बाजार में इस तरह के खिलाडिय़ों की संख्या बहुत कम है।’
चोपड़ा का भारतीय सेना में (जूनियर कमीशन अधिकारी के रूप में) होना उन्हें और भी अलग बनाता है तथा राष्टï्रवाद के उबाल वाले इस माहौल में उनके लिए और भी फायदेमंद है। चेरियन ने कहा, ‘भारतीय बाजार में ऐसे खिलाड़ी बहुत कम हैं, जो सेना की पृष्ठïभूमि से आते हैं, ओलिंपिक मेडल जीतते हैं और कॉरपोरेट समझ भी रखते हैं।’ उनका कहना है कि महंगाई, अर्थव्यवस्था के आकार आदि को देखते हुए भी चोपड़ा का ब्रांड मूल्य निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के मुकाबले चार गुना तक हो सकता है। बिंद्रा ओलिंपिक में भारत के लिए स्वर्ण जीतने वाले पहले और चोपड़ा से पहले इकलौते खिलाड़ी हैं। कहा जाता है कि 2008 में पेइचिंग ओलिंपिक में स्वर्ण जीतने के बाद वह विज्ञापन के लिए 1 करोड़ रुपये फीस वसूल रहे थे। इमेज परामर्शदाताओं का कहना है कि उनका खेल (ट्रैक ऐंड फील्ड), टीम के मुकाबले व्यक्तिगत प्रदर्शन की ज्यादा अहमियत और सुंदर जवान पेशेवर होना चोपड़ा के पक्ष में है। कुछ का तो यहां तक कहना है कि वह ज्यादातर क्रिकेटरों से आगे निकल जाएंगे। उनकी पृष्ठभूमि सामान्य है। वह हरियाणा में पानीपत के एक किसान परिवार में जन्मे हैं। ऐसे में बहुत से ब्रांड खुशी-खुशी उनसे जुडऩा चाहेंगे।
2004 के एथेंस ओलिंपिक में रजत पदक जीतने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ब्रांडों का विज्ञापन करने वाले पहले सेवारत सैन्य अधिकारी थे। अल्केमिस्ट ब्रांड कंसल्टिंग के संस्थापक और प्रबंध निदेशक समित सिन्हा ने कहा कि पदक के रंग से ज्यादा चोपड़ा का खेल यानी ट्रैक ऐंड फील्ड है, जो उन्हें दूसरों से अलग करता है।