भारत और चीन ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विकासशील देशों के समर्थन में अपनी द्विपक्षीय शत्रुता को आम तौर पर दूर रखा है। मगर ऐसा लगता है कि अब इसमें बदलाव आ रहा है। चीन की व्यापार नीति की समीक्षा के हाल के चरण में भारत ने सवाल उठाया कि उसका उत्तरी पड़ोसी देश कैसे विकासशील देश होने का दावा कर सकता है जबकि वह प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से उच्च मध्यम आय वाला देश है। भारत ने चीन से कहा, ‘प्रति व्यक्ति आय के स्तर के लिहाज से चीन की अर्थव्यवस्था ‘उच्च मध्यम आय’ (विश्व बैंक का पैमाना) से संबंधित है। चीन कैसे विकासशील देश होने का दावा कर सकता है? वे कौनसे संकेतक हैं, जिनका चीन इस दर्जे का दावा करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।’
विश्व बैंक के मुताबिक जिन देशों की प्रति व्यक्ति आय 4,096 डॉलर से 12,695 डॉलर के बीच है, वे उच्च मध्यम आय वाले देश हैं। चीन की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2020 में 10,435 डॉलर रही। जिन देशों की प्रति व्यक्ति आय 12,696 डॉलर या उससे अधिक है, उन्हें उच्च आय वाला देश माना जाता है। उदाहरण के लिए अमेरिका, जिसकी प्रति व्यक्ति आय 63,413 डॉलर है। इसकी तुलना में भारत निम्न मध्यम आय वाले देशों में शामिल है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2020 में 1,928 डॉलर रही।
चीन ने अपने जवाब में कहा कि विकासशील देशों का विचार विकसित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की तुलना में है और विकासशील देशों की कोई एक परिभाषा नहीं है। उसने कहा, ‘हालांकि समग्र रूप से विकसित देशों की तुलना में विकासशील देश आर्थिक ताकत, प्रति व्यक्ति आय, आर्थिक ढांचे, औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता, सामाजिक सुरक्षा प्रणाली, पर्यावरण संरक्षण और वैश्विक प्रशासन में भागीदारी की क्षमता में काफी पीछे हैं। चीन में साफ तौर पर वैज्ञानिक और तकनीकी नवोन्मेष का अभाव है। इन सब चीजों पर विचार करने के बाद चीन के विकासशील देश होने के वस्तुनिष्ठ तथ्य पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। चीन अब भी समाजवाद के शुरुआती चरण में है और लंबे समय तक रहेगा। इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। चीन का विश्व के सबसे बड़े विकासशील देश का अंतरराष्ट्रीय दर्जा नहीं बदला है।’
डब्ल्यूटीओ में सदस्य खुद यह घोषणा करते हैं कि वे ‘विकसित’ हैं या विकासशील देश क्योंकि इसकी कोई उचित परिभाषा नहीं है। हालांकि अन्य सदस्य विकासशील देशों के लिए उपलब्ध प्रावधानों का इस्तेमाल करने के किसी सदस्य के फैसले को चुनौती दे सकते हैं। डब्ल्यूटीओ के सभी समझौतों में विकासशील देशों के लिए विशेष प्रावधान हैं। इनमें समझौतों एवं प्रतिबद्धताओं को लागू करने, विवादों को निपटाने और तकनीकी मानकों को लागू करने के लिए लंबी अवधि शामिल हैं। अमेरिका पिछले कुछ समय से यह मांग कर रहा है कि चीन और भारत अपनी तेज आर्थिक प्रगति को मद्देनजर रखते हुए स्वैच्छिक रूप से डब्ल्यूटीओ में विकासशील देेशों के लाभ छोड़ दें। हालांकि भारत और चीन दोनों बहुपक्षीय संस्था में ऐसे प्रयासों का विरोध कर रहे हैं। भारत के अलावा ब्राजील, इंडोनेशिया और यूरोपीय संघ जैसे देशों ने भी चीन के विकाससील देश के दर्जे पर सवाल उठाया है। यूरोपीय संघ के सवाल का जवाब देते हुए चीन ने कहा कि कई दशकों के सुधारों और अर्थव्यवस्था को खोलने से चीन ने आर्थिक और सामाजिक विकास के स्तर पर तगड़ी प्रगति की है। असंतुलित और अपर्याप्त विकास की समस्या अभी बरकरार है और औद्योगिक ढांचे, शहरी-ग्रामीण खाई, सामाजिक कल्याण और पर्यावरण मुद्दों पर विरोधाभास काफी अधिक हैं। चीन ने कहा, ‘चीन अब भी दुनिया में सबसे बड़ा विकासशील देश है। एक बड़े एवं जिम्मेदार विकासशील देश के रूप में चीन ने हमेशा अपनी जिम्मेदारियां निभाई हैं।
