कई लोग आजकल वित्तीय और ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसकी वजह से एक विशेष क्षेत्र में रोजगार सृजन हो रहा है। महामारी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में बढ़ती तकनीकी धोखाधड़ी से निपटने में मदद करने वाले विशेषज्ञों की मांग बढ़ी है। रोजगार और मानव संसाधन सेवा कंपनी टीमलीज सर्विसेज के मुताबिक तकनीकी धोखाधड़ी (टेक फ्रॉड) से निपटने वाले विशेषज्ञों की मांग 35 फीसदी से अधिक बढ़ी है।
इस मांग में वित्तीय सेवा कंपनियों और ई-कॉमर्स कंपनियों का बड़ा योगदान है। इस क्षेत्र के रुझान पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि कई कंपनियों को यह आसान लगता है कि इस तरह की समस्याओं का प्रबंधन किसी एक सलाहकार कंपनी को आउटसोर्स कर दिया जाए क्योंकि अब आंतरिक क्षमता का निर्माण काफी महंगा हो गया है।
टीमलीज डिजिटल में सूचना प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर के सहायक उपाध्यक्ष और व्यापार प्रमुख नरेन भागी कहते हैं कि विशेष रूप से पिछले तीन तिमाहियों में मांग में वृद्धि हुई है। इस सेगमेंट में करीब 20,000-25,000 रोजगार के मौके हैं जिसमें धोखाधड़ी की पहचान, रोकथाम, ऑडिट और फॉरेंसिक विश्लेषण से जुड़े लोगों की जरूरत होती है।
भारत में केपीएमजी के एक प्रवक्ता का कहना है कि इन सेवाओं की बढ़ी मांग के बीच टेक फ्रॉड विशेषज्ञों की जरूरत 100 फीसदी से भी ज्यादा है। इसमें कंप्यूटर अपराधों की जांच करने वाले फॉरेंसिक तकनीक कुशल लोगों की मांग होती है जिसमें स्मार्टफोन शामिल है। इसके अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स, डेटा चोरी, रैंसमवेयर और अन्य साइबर अपराध की जांच करने वाले कुशल लोगों की मांग शामिल है। अन्स्र्ट ऐंड यंग (ईवाई) में फॉरेंसिंक ऐंड इंटीग्रिटी सर्विसेज में वैश्विक बाजार एवं भारत के प्रमुख अरपिंदर सिंह का कहना है कि साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी के क्षेत्र के विशेषज्ञों की मांग बढ़ी है।
सिंह का कहना है, ‘बाजार में देखी जा रही मांग के कारण प्रौद्योगिकीविदों और अकाउंटेंट सहित विशेषज्ञों और डोमेन विशेषज्ञों की आवश्यकता है। हमें भविष्य में मांग बढऩे की उम्मीद कर रहे हैं, खासतौर पर धोखाधड़ी के आकलन, अनुपालन जोखिम निगरानी और साइबर-प्रतिक्रिया फ्रेमवर्क में इसकी मांग बढऩे की उम्मीद है।’
प्रोविटिटी मेंबर फर्म फॉर इंडिया में प्रबंध निदेशक (साइबर सुरक्षा और प्राइवेसी) प्रशांत भट्ट कहते हैं, ‘हम डोमेन विशेषज्ञों की भर्ती में बढ़ोतरी देख रहे हैं क्योंकि धोखाधड़ी का तरीका अब सरल नहीं है लेकिन अब यह जटिल है जिसका आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है। उद्यमों ने उन्नत डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग तकनीक और सुरक्षा मंचों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है ताकि तकनीकी धोखाधड़ी की रोकथाम हो सकेया इसका जल्दी पता लगाने वाला तंत्र हो।’
वह आगे कहते हैं कि नियामकों ने भुगतान वाले मंच की सुरक्षा और अन्य संबंधित दिशानिर्देशों पर भी जोर दिया है। इसने संगठनों को प्राथमिकता के आधार पर धोखाधड़ी प्रबंधन शुरू करने के लिए जोर दिया है। भट्ट कहते हैं, ‘कई उद्यम अपने डिजिटल मंचों को धोखाधड़ी के बारे में जागरूक करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए जागरूक कर रहे हैं।’
दिसंबर 2020 के डेलॉयट टच तोमात्सु इंडिया एलएलपी इंडिया कॉरपोरेट फ्रॉड परसेप्शन सर्वे के मुताबिक कंपनियों ने तकनीक से जुड़ी धोखाधड़ी को अपनी प्रमुख चुनौतियों में शुमार किया था। सर्वे में हिस्सा लेने वालों ने साइबर अपराध का जिक्र सबसे ज्यादा किया था क्योंकि उनके संगठनों को अगले दो वर्षों में इसका सबसे अधिक अनुभव होने की संभावना है। उन्होंने बॉट, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और संबंधित प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के कारण भी होने वाली अतिरिक्त धोखाधड़ी का जिक्र किया।
दिसंबर 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक , ‘महामारी के शुरुआती दौर में, दुनिया भर से आई मीडिया रिपोर्ट से यह संकेत मिला है कि साइबर अपराध में वृद्धि हो रही है। मई 2020 में एसोसिएशन ऑफ सर्टिफायड फ्रॉड एक्जामिनर की रिपोर्ट मुताबिक यह संकेत मिला कि यह रुझान अगले 12 महीने तक जारी रहने की संभावना है।’
भागी कहते हैं, ‘जो क्षेत्र कौशल की जरूरतों का संतुलन अच्छी तरह बनाने में सक्षम हैं उनमें कानूनी प्रक्रिया आउटसोर्सिंग और परामर्श से जुड़े क्षेत्र हैं। ऐसा उनके अपने कारोबार की वजह से भी है। जो क्षेत्र बेहतर कर सकते हैं उनमें ई-कॉमर्स, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों का दायरा बढ़ रहा है और ऐसे में इनमें निवेश करना एक अच्छा कदम होगा।’