पिछले हफ्ते जब मुंबई के उपनगरीय इलाके गोरेगांव में एक खरीदार मकान खरीदने के लिए दलाल के पास पहुंचा, तो उसे दो तरह के दाम सुनने को मिले।
दलाल ने पहले उसे बिल्डर के दाम बताए। जब खरीदार को मकान महंगा लगा, तो उसने निवेशकों के दाम बताए, जो बिल्डर के बताए दामों से 20 से 25 फीसद कम थे। ऐसा गोरेगांव में ही नहीं हो रहा, मुंबई के तो तमाम इलाकों में प्रॉपर्टी में निवेश करने वाले मंदी की मार से परेशान हैं और जल्द से जल्द अपनी संपत्ति बेचने की कोशिश कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक उनमें से कुछ तो बिल्डरों के पास ही पहुंच गए हैं और बिल्डरों से औने-पौने दाम पर संपत्ति खरीदने की गुहार लगा रहे हैं। उनमें से कई बिलडरों को अनदेखा कर सीधे दलाल के पास जा रहे हैं और उनसे खरीदार तलाशने को कह रहे हैं।
मिसाल के तौर पर ठाणे को ही लीजिए। यहां पोखरण रोड 1 और 2 के चौराहे पर बन रही परियोजना में बिल्डर 5,500 रुपये वर्गफुट की दर से मकान बेच रहे हैं। इसके अलावा निचली मंजिल पर फ्लैट लेने के लिए अतिरिक्त कीमत देनी पड़ेगी।
लेकिन उसी इलाके के किसी दलाल से बात करें, तो आपको केवल 4,150 वर्ग फुट की दर से ही फ्लैट मिल जाएगा। एक दलाल ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘निवेशकों के फ्लैट सस्ते हैं क्योंकि वे संपत्ति से तुरंत छुटकारा पाना चाहते हैं।’
नाइट फ्रैंक (इंडिया) के चेयरमैन प्रणय वकील कहते हैं, ‘ऐसी कई परियोजनाएं हैं, जिनमें निवेशकों का पैसा लगा है। निवेशक उस समय खरीदारी करते हैं, जब परियोजना निर्माणाधीन होती है। परियोना पूरी होने तक वे किस्तें देते रहते हैं। मकान पूरा होते ही उन्हें बिल्डर को पूरी रकम देनी होती है।’
लेकिन कई निवेशक बिल्डर को रकम नहीं देना चाहते, इसलिए वे मकान बेच रहे हैं। दिल्ली जैसे शहरों में नई परियोजनाओं के 40 फीसद फ्लैट निवेशकों के ही पास हैं। वकील कहते हैं, ‘कहीं-कहीं तो तीन-चौथाई इमारत निवेशकों के पास होती है। यही वजह है कि उत्तर भारत में बुकिंग शुरू होने के दो दिन के भीतर पूरी इमारत बुक हो जाती है।’
लेकिन अब उनके लिए मुश्किल हो रही है। बाजार ठंडा पड़ा है और ऐसे में बिल्डर और निवेशक की जुगलबंदी भी काम नहीं कर रही है।