भारतीय अंतराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (इक्रियर) ने आज जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि अल्कोहल वाले पेय पदार्थों पर भारत का ज्यादा आयात शुल्क कारोबारी वार्ता में बाधक बन सकता है। सरकार को इस शुल्क सहित अन्य शुल्कों में चरणबद्ध कटौती पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा भारत की कंपनियों को निर्यात के लिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे व्यापार संतुलन में सुधार हो सके।
इक्रियर ने अपनी रिपोर्ट ‘डेवलपिंग प्रिंसिपल्स फॉर रेगुलेशन ऐंड प्राइसिंग आफ एल्कोहलिक बेवरिजेज सेक्टर इन इंडिया’ में कहा है, ‘भारत इस समय यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख साझेदारों के साथ अपनी कारोबारी बातचीत फिर से शुरू करने की कवायद कर रहा है, ऐसे में शुल्कों में कमी चर्चा के लिए अहम होगा और यह रिपोर्ट शुल्क में कमी करने के ढांचे को लेकर आपसी लाभ पहुंचा सकती है और इससे निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है।’
आयात शुल्क में कटौती से कच्चे माल की कीमतों में कमी आएगी, ऐसे में भारत के स्थानीय विनिर्माता सक्षम बन सकेंगे। इक्रियर ने अपनी सिफारिश में कहा है कि कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाकर शून्य किया जाना चाहिए, जिससे घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिल सके।
इसके अलावा यह भी उल्लेखनीय है कि दो तरह के उत्पादों का आयात होता है। पहला, जो स्थानीय रूप से विनिर्मित वस्तुओं को प्रतिस्पर्धा दे सकते हैं और दूसरा, जिनका विनिर्माण जीआई टैग या घरेलू मांग में कमी के कारण स्थानीय स्तर पर नहीं होता। दूसरे के मामले में सर्वे में पाया गया है कि शुल्क को आसानी से कम किया जा सकता है, जिसकी वजह से कारोबारी समझौते में भारत की मोल-तोल की क्षमता बढ़ेगी।
