उद्योग जगत के दिग्गजों का मानना है कि ग्रामीण मजदूरी में कमी, बेरोजगारी, अप्रत्याशित बारिश और शहरी इलाकों में श्रमिकों की कमी की वजह से तीसरी तिमाही के दौरान निर्माण क्षेत्र में 2.8 प्रतिशत संकुचन आया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा हाल में जारी जीडीपी के आंकड़ों में निर्माण क्षेत्र के आंकड़े भी शामिल थे। कॉर्पोरेट दिग्गजों को उम्मीद है कि चालू तिमाही के दौरान निर्माण गतिविधियों में गति आएगी।
बहरहाल इनमें से तमाम का कहना है कि सीमेंट जैसे क्षेत्र सामान्य चौथी तिमाही की तुलना में मांग में कोई बढोतरी नहीं देख रहे हैं, वहीं इनपुट की लागत बढ़ रही है।
भारत में सीमेंट बनाने वाली शीर्ष 5 कंपनियों में से एक डालमिया सीमेंट (भारत) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) महेंद्र सिंह ने कहा, ‘ग्रामीण मजदूरी में कमी आई है और लोगों के हाथ में खर्च करने योग्य धन कम हुआ है। बेरोजगारी भी बढ़ी है, जिसकी वजह से संकुचन और ग्रामीण मांग में कमी आई है। निर्माण क्षेत्र पर कोविड के असर के अतिरिक्त इनका असर है।’
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष में अप्रैल नवंबर के दौरान औसत नॉमिनल कृषि मजदूरी वृद्धि कम हुई है। गैर कृषि मजदूरी भी अप्रैल-नवंबर 2020 के 7.9 प्रतिशत की तुलना में गिरकर 1.8 प्रतिशत रह गई है।
जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने कहा, ‘पूरी तीसरी तिमाही की तुलना में हम जनवरी और फरवरी में कुल मांग में कम से कम 20 प्रतिशत वृद्धि देख रहे हैं। इससे पता चलता है कि मांग में पहले ही वापसी हो चुकी है। तीसरी तिमाही पर मुख्य रूप से बारिश और कोविड की तीसरी लहर का असर दिख रहा है।’
रियल एस्टेट क्षेत्र श्रमिकों का संकट प्रमुख वजह मान रहा है। एनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘निर्माण गतिविधियों में त्योहारी मौसम (अक्टूबर दिसंबर) में कमी की एक बड़ी वजह यह है कि निर्माण श्रमिक त्योहार मनाने अपने गृह जनपद लौट जाते हैं।’
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दिसंबर 2021 में निर्माण, विनिर्माण, रियल एस्टेट और लॉजिस्टिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में श्रमिकों की 20-25 प्रतिशत कमी की उम्मीद थी, जिसकी प्रमुख वजह तीसरी लहर का डर था।
श्री सीमेंट के संयुक्त एमडी प्रशांत बांगड़ ने कहा, ‘यह श्रम आधारित क्षेत्र है और निर्माण क्षेत्र का सबसे बड़ा कच्चा माल मानव शक्ति है। उत्तर भारत का कामगार डरा हुआ था और छठ पूजा के बाद काम पर वापस लौटा। ऐसे में दिसंबर और जनवरी के दौरान मांग पर गंभीर असर पड़ा।
मेरा मानना है कि हमारे लिए ग्रामीण खपत टिकाऊ थी, लेकिन शहरी बाजार का अनुमान लगाना मुश्किल था।’ उन्होंने कहा कि चौथी तिमाही में रिकवरी की उम्मीद है।
नाइट फ्रैंक इंडिया में मुख्य अर्थशास्त्री और नैशनल डायरेक्टर- रिसर्च रजनी सिन्हा ने कहा, ‘जहां तक तीसरी तिमाही में निर्माण क्षेत्र में संकुचन का सवाल है, यह आश्चर्यजनक रहा। लेकिन कम आधार का असर खत्म होना भी एक वजह है। अगर हम क्रमिक आधार पर देखें तो वृद्धि जारी है।’
