भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई हो या फिर प्रति व्यक्ति बिजली खपत, सबमें महाराष्ट्र अव्वल है।
लिहाजा, यहां बिजली की महत्ता खुद-ब-खुद समझी जा सकती है। इसी के मद्देनजर बिज़नेस स्टैंडर्ड ने महाराष्ट्र की मौजूदा बिजली की मांग और आपूर्ति समेत इससे जुड़े सभी मामलों की पड़ताल की है।
मांग-आपूर्ति का गणित
राज्य सरकार ने बिजली को मूलभूत आवश्यकता का दर्जा दिया है। बावजूद इसके राज्य में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच खासी अनियमितता है। मौजूदा समय में मांग 17,000 मेगावाट है, जबकि उत्पादन 12,000 मेगावाट हो रहा है। ऐसे में शेष 5,000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।
2005-06 में प्रति व्यक्ति 661 यूनिट सालाना बिजली उपलब्ध थी, जिसे बढ़ाकर 2012 तक 1,000 यूनिट करने की योजना है, जोकि मौजूदा हालात को देखते हुए मुश्किल प्रतीत हो रहा है। औद्योगिक खपत की बात करें तो देशभर में 126.2 किलोवाट प्रति घंटा बिजली की खपत होती है, जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 246.8 किलोवाट प्रति घंटा है। घरेलू खपत का आंकड़ा देशभर में 87.8 किलोवाट प्रति घंटा है, जबकि महाराष्ट्र 130.3 किलोवाट प्रति घंटा के साथ सबसे आगे है।
बिजली के स्रोत
मांग ज्यादा होने के लिहाज से राज्य सरकार मुस्तैदी से बिजली उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रही है। इसके तहत राज्य बिजली बोर्ड को चार भागों में बांट गया है- महाजेन्को, महाट्रांस्को, महाडिस्को और एमएसईबी। इनका संचालन एमएसईबी करती है। इन कंपनियों की अलग-अलग क्षमता है।
प्राइवेट कंपनियों की बात करें, तो टाटा के थर्मल प्लांट से 1,150 मेगावाट, पन-बिजली से 444 मेगावाट और प्राकृतिक गैस से 180 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जो कुल क्षमता का 12 फीसदी है। रिलांयस एनर्जी 580 मेगावट बिजली का उत्पादन करता है। दाभोल प्राकृतिक गैस से 728 मेगावाट, कैपटिव पावर से 908 मेगावाट, गैर-पारंपरिक स्रोतों से 1,308 मेगावाट और नाभिकीय स्रोतों से कुल 365 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है।
राज्य के बाहर के स्रोत एनटीपीसी 2,189 मेगावाट ऊर्जा उत्पादित करता है। 11वीं योजना में महाजेन्को की 7,032 मेगावाट, जबकि केंद्र की ओर से 2,913 मेगावाट बिजली उत्पदान में इजाफा करने की योजना है। केंद्र की विभिन्न परियोजनाओं से कुल 4,600 मेगावाट बिजली आपूर्ति की भी योजना है।
सरकारी कदम
खपत लगातार बढ़ रही है। लिहाजा, सरकार ने 2005-06 में आठ निजी कंपनियां के साथ समझौता किया है। जिससे 12,500 मेगावाट अतिरिक्त बिजली आपूर्ति की योजना बनाई गई है। इन कंपनियों में टाटा से 1,500 मेगावाट, सिपको से 2,000 मेगावाट, एस्सार से 1,500 मेगावाट और जीएमआर एनर्जी से 1,000 मेगावाट बिजली लेने की बात है।
कितना है शुल्क
घरेलू उपयोग के 3.29 रुपये प्रति यूनिट, जबकि व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए 4.72 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता है। कृषिगत उपभोग के लिए यह दर 1.92 रुपये प्रति यूनिट, जबकि पब्लिक वाटर वर्क्स को 1.66 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ता है।
(अगली कड़ी में पंजाब में बिजली का सूरते हाल)