ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया कार्यवाही से संबंधित डेटा के भंडारण के लिए मौजूदा एमसीए21 पोर्टल की तर्ज पर आईबीसी21 पोर्टल शुरू करने की योजना बनाई गई है।
कारपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) ने पोर्टल की मंजूरी दे दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि यह पोर्टल प्रत्येक प्रक्रिया की हरेक गतिविधि पर नजर रखने में सक्षम बनाएगा।
एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर काम चल रहा है। परियोजना की अगुआई भारतीय ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया बोर्ड (आईबीबीआई) करेगा और इसका क्रियान्वयन एमसीए21 पोर्टल की तर्ज पर एक बाहरी एजेंसी करेगी। एमसीए21 पोर्टल का क्रियान्वयन एलऐंडटी इन्फोटेक कर रही है।
आईबीसी21 के पास समाधान पेशेवरों से मिली सभी प्रकार की सूचनाएं होंगी जिसमें उनकी नियुक्ति की मंजूरी मिलने के समय से लेकर अंतिम योजना के क्रियान्वयन तक का विवरण होगा।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें किसी सूचना के लिए किसी से भी पूछने की नौबत नहीं आनी चाहिए जैसे कि अभिरुचि की अभिव्यक्ति की प्रक्रिया या कोई नीलामी क्यों विफल रही। इन सभी जानकारियों को ऑनलाइन मुहैया कराने की जरूरत है। यह आईबीबीआई को भी अपना कार्य बेहतर तरीके से करने में मददगार होगा।’
आईबीबीआई अपने त्रैमासिक न्यूजलेटर के माध्यम से स्वीकार किए गए मामलों की संख्या, मंजूरी, परिसमापन, निपटारे या वापसी के माध्यम से बंद किए गए मामले जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर सूचनाएं मुहैया कराता है।
यह कुछ अन्य डेटा के साथ ही दिनों की एक निश्चित संख्या पार कर चुके मामलों में हुई कार्यवाही का सिलसिलेवार विवरण भी मुहैया कराता है।
अधिकारी ने कहा कि समाधान पेशेवरों के लिए नियमन बनाने के लिए आईबीबीआई की ओर से साक्ष्य आधारित शोध किए जाने के लिए काफी अधिक व्यापक डेटा के सूजन की आवश्यकता है।
यदि सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया तो आईबीसी पोर्टल से संहिता काफी पारदर्शी बनेगी और इसको लेकर बेहतर समझ विकसित होगी।
आईबीसी के एक वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘संकल्पना के आधार पर यह बहुत ही अच्छा विचार है लेकिन किसी न किसी को बैठकर सभी जानकारी डालनी होगी। इसका मतलब होगा कि समाधान पेशेवरों को काफी संख्या में नए फॉर्म भरने होंगे। लॉजिस्टिक के स्तर पर यह एक चुनौतीपूर्ण काम होगा।’
उन्होंने कहा कि 90 फीसदी समाधान पेशेवर छोटे मामले संभाल रहे हैं और इस अतिरिक्त कार्य को करने के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन या सहायक तंत्र उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘ऋणदाता अक्सर उन्हें पैसे नहीं देते हैं जिसके कारण वे बाजार से बाहर नहीं जा सकते लिहाजा वे खरीदार नहीं ला सकते। उनके लिए दिन प्रति दिन की सूचना का अद्यतन मुश्किल हो सकता है लेकिन घटना आधारित रिपोर्टिंग संभव है।’
