महंगाई की मार अब घर पर भी पडऩे लगी है। घरों की मांग बढऩे के बीच बीते दो साल से लगातार कच्चा माल महंगा होने से घरों की कीमतों में भी बढोतरी हो रही है। इस साल की पहली तिमाही में रिहायशी घरों की कीमतों में औसतन 4 फीसदी इजाफा हुआ है। इस बीच अब लोग किफायती घरों की बजाय, मध्य से उच्च मूल्य वर्ग के घर खरीदने को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं।
रियल एस्टेट संगठन क्रेडाई, कोलियर्स और लायसेस फोरास द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई हाउसिंग प्राइस-ट्रैकर रिपोर्ट के पहले संस्करण के मुताबिक 8 महानगरों (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलूरु और अहमदाबाद) में घरों की कीमतें कोविड के पहले वाले स्तर को भी पार कर गई हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार लंबी मंदी के बाद वर्ष 2022 की पहली तिमाही में रिहायशी घरों की कीमतों में औसतन 4 फीसदी वृद्धि हुई है।
तिमाही आधार पर एनसीआर में सबसे ज्यादा कीमतें 6 फीसदी बढी है। हैदराबाद में कीमत 4 फीसदी, कोलकाता में 3 फीसदी, पुणे में एक फीसदी बढी है। चैन्नई और मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में कीमतें एक फीसदी घटी हैं, जबकि अहमदाबाद व बेंगलूरु में कीमतें स्थिर रही हैं। सालाना आधार पर एनसीआर में आवास कीमतों में सबसे ज्यादा 11.3 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। हैदराबाद में कीमत 9 फीसदी, अहमदाबाद में 8 फीसदी, कोलकाता में 6 फीसदी,पुणे में 3 फीसदी और बेंगलूरु, चेन्नई और एमएमआर में कीमत एक-एक फीसदी बढी।
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने कहा कि बीते दो साल में कच्चा माल महंगा होने से भवन निर्माण की लागत काफी बढी है। जिससे घरों के दाम भी बढ़े हैं। हालांकि हाल में सरकार दवारा कच्चे माल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए स्टील उत्पाद, आयरन ओर और स्टील इंटरमीडियरीज पर आयात शुल्क कम करने से कच्चे माल की घरेलू उपलब्धता बढ़ेगी। जिससे परियोजनाओं की कीमतों पर नियंत्रण बनेगा।
कोलियर्स के सीईओ भारत रमेश नायर ने कहा कि भारत का रिहायशी बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और कई सालों के बाद उम्मीदों पर खरा उतर रहा है। हमें उम्मीद है कि अगले 6-9 महीनों में विभिन्न बाजारों में घरों की बिक्री में 5-10 फीसदी बढ़ोतरी होगी। किफायती क्षेत्र के अलावा महंगे खंड में भी ज्यादा गतिशीलता दिख रही है।
बिना बिके घरों की संख्या भी घट रही है। रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष की पहली तिमाही में बेंगलूरु में सबसे ज्यादा 23 फीसदी बिना बिके घरों की संख्या में गिरावट आई। कोलकाता में 15 फीसदी, पुणे में 11 फीसदी कमी आई। हालांकि हैदराबाद में बिना बिके घरों की संख्या 41 फीसदी बढ़ गई। इसका मुख्य कारण शहर में नए घरों की ज्यादा शुरुआत होना है।
इसी बीच,रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स द्वारा आज जारी रिपोर्ट के मुताबिक अब लोग किफायती घरों की तुलना में मध्यम कीमत वाले घरों को ज्यादा खरीद रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार कुल बिक्री में 42 फीसदी हिस्सेदारी मध्य कीमत (40 से 80 लाख रुपये) के घरों की और 37 फीसदी 80 लाख से 1.5 करोड़ रुपये कीमत वाले घरों की है। किफायती घरों(40 लाख रुपये से कम कीमत) की हिस्सेदारी महज 10 फीसदी है। खरीदारों में सबसे ज्यादा 68 फीसदी हिस्सेदारी नौकरीपेशा वर्ग की है। आकार के हिसाब से सबसे ज्यादा 38 फीसदी 2 बीएचके घरों की मांग है। 26 फीसदी लोग 3 बीएचके घर खरीदना चाहते हैं।
एनारॉक समूह के चीफ बिजनेस ऑफिसर राहुल फोंडगे कहते हैं, कि चेन्नई और पुणे ने मिड-एंड सेगमेंट में सबसे ज्यादा मांग दिखाई और इन शहरों में कुल मांग का लगभग 60 फीसदी और 59 फीसदी हिस्सा था। बेंगलूरु ने लगभग 56 फीसदी मांग महंगे खंड में दर्ज की।
