दिल्ली और मुंबई सहित देश के प्रमुख बाजारों में मकानों की बिक्री लॉकडाउन के पहले के स्तर पर पहुंच गई है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ओर से संकलित किए गए आंकड़ों के मुताबिक कुछ बाजारों में तो बिक्री कोरोना के पहले से भी ज्यादा हो गई है। आज जारी नोट में क्रिसिल ने कहा है कि इस साल की शुरुआत की तुलना में मुंबई और महाराष्ट्र में बिक्री 10 से 30 प्रतिशत तक ज्यादा है।
इसमें कहा गया है, ‘प्रमुख राज्यों में सरकार द्वारा किए गए समर्थन का सकारात्मक असर पड़ा है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में स्टांप शुल्क दिसंबर 2020 तक के लिए 5 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत और जनवरी-मार्च 2021 तक 3 प्रतिशत किया गया है। कर्नाटक में भी 21 लाख से 35 लाख रुपये तक की संपत्तियों पर स्टांप शुल्क 5 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है।’
सितंबर महीने में यह रिकवरी ज्यादा नजर आई। मासिक आंकड़ों से पता चलता है कि मुंबई और महाराष्ट्र में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बिक्री बढ़ी है। दिल्ली में अभी 2019 की तुलना में आंकड़े कम हैं। लेकिन कोविड-19 के कारण मार्च में लगाए गए लॉकडाउन के पहले के स्तर पर बिक्री पहुंच गई है। लॉकडाउन के कारण रियल एस्टेट क्षेत्र सहित देश में सभी आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक मंदी से निपटने के लिए ब्याज दरों में तेज कटौती की है। इसके अलावा भी क्रिसिल ने कई वजहें बताई हैं, जिससे भारत के 10 प्रमुख शहरों में लोगों की मकान खरीदने की क्षमता बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहली बार मकान खरीदने वालों व प्रवासी भारतीयों को मदद मिली है।
सूचीबद्ध रियल एस्टेट कंपनियों के तिमाही परिणामों में भी सुधार हुआ है। क्रिसिल ने कहा है कि सितंबर तिमाही में वृद्धि दर उम्मीद से कहीं ज्यादा रही है। तमाम कंपनियों की बुकिंग कोविड के पहले के स्तर पर पहुंच गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचीबद्ध कंपनियों का कारोबार बेहतर रहा है। इससे कुछ प्रमुख डेवलपरों की ओर ग्राहकों के आकर्षित होने के संकेत मिलते हैं। यह धारणा कोविड के पहले भी देखी गई थी और दूसरी छमाही में भी ऐसी स्थिति की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल प्रमुख 10 शरहों में प्राथमिक बिक्री 40-50 प्रतिशत गिरेगी।
