मकान वाकई नियामत है। शायद इसीलिए महाराष्ट्र में इसके लिए मारामारी मची हुई है।
महाराष्ट्र गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) के 3,865 फ्लैटों के लिए महज छह दिनों में पांच लाख फॉर्मों की बिक्री होना यह साबित करता है कि रियल एस्टेट में आज भी मांग की कमी नहीं है।
रियल एस्टेट में छाई मंदी मांग की कमी से नहीं, बल्कि भवन निर्माताओं द्वारा प्रॉपर्टी के दाम आसमान में पहुंचाने की वजह से है। मुंबई के अलग-अलग इलाकों में अपने 3,865 नए फ्लैटों के लिए म्हाडा ने कुल पांच लाख आवेदन फॉर्म छपवाए थे।
इन फॉर्मों की बिक्री एचडीएफसी बैंक की 22 शाखाओं से 12 जनवरी से 30 जनवरी तक होनी थी, लेकिन लोगों की भारी भीड़ के चलते ये फॉर्म 17 जनवरी तक ही खत्म हो गए। लिहाजा पांच लाख और नए फॉर्म छपवा कर बेचे जा रहे हैं।
एक फॉर्म की कीमत 100 रुपये है यानी 10 लाख फॉर्म बिकने से ही म्हाडा की झोली में 1 करोड़ रुपये आ जाएंगे। म्हाडा के इन एलआईजी फ्लैट्स की कीमत 7 से 10 लाख रुपये के बीच में है। एमआईजी 12 लाख से 16 लाख और एचआईजी फ्लैट की कीमत 22 लाख से 56.24 लाख रुपये के बीच है।
म्हाडा अधिकारी एच के जवले कहते हैं, ‘म्हाडा केफ्लैट बाजार भाव से 50 फीसदी से भी कम दर पर मिल रहे हैं जिसके चलते सभी लोग इसका फायदा उठाना चाहते हैं।’ म्हाडा के फ्लैटों के लिए फॉर्म बिक्री की अंतिम तारीख 30 जनवरी रखी गई है, जबकि जमा करने के लिए 31 जनवरी की तारीख तय की गई है।
दूसरी ओर निजी रियल एस्टेट डेवलपर अपनी कीमतों में पिछले छह महीनों में तकरीबन 30 फीसदी से भी ज्यादा कमी कर चुके हैं। बावजूद इसके अभी खरीदार नदारद ही नजर आ रहे हैं।
इस बाबत रियल एस्टेट डेवलपर यशवंत दलाल कहते हैं,’ लोगों को लगता है कि प्रॉपटी के दाम अभी 25 से 30 फीसदी गिरने वाले हैं और ज्यादातर डेवलपर, प्रॉपर्टी के दाम और नीचे गिरने के डर से मौजूदा कीमतों पर ही अटके हुए हैं। इसीलिए रियल एस्टेट क्षेत्र में खरीदारों का टोटा बना हुआ है।’
पिछले कुछ वक्त में बिक्री के आंकड़े उनकी बात की तस्दीक भी करते हैं। उनका यह भी कहना है कि लोग घर खरीदना चाहते हैं, लेकिन वाजिब कीमत पर ही वे इन्हें खरीदेंगे।
‘मराठी माणुस के लिए हों म्हाडा फ्लैट’
म्हाडा फ्लैट योजना में भी राजनीतिक तड़का लग चुका है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के मुकाबले बैकफुट पर आई शिवसेना इस योजना पर राजनीतिक कार्ड खेलने की तैयारी कर चुकी है।
शिवसेना ने म्हाडा के इन फ्लैट्स में से 80 फीसदी मराठियों को दिये जाने की मांग की है जबकि मनसे ने एक कदम आगे निकलते हुए 100 फीसदी फ्लैट मराठियों को दिये जाने की मांग की है।