हाइवे निर्माण और आधारभूत ढांचा परियोजनाओं से जुड़ी कंपनियों को विकास कार्यों के लिए पूंजी जुटाने में काफी समस्या करनी पड़ रही है।
ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि बैंकों ने अपनी ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। अब कंपनियों को 14 से 16 फीसदी सालाना की दर से ऋण मिल रहा है, जो उनके लिए महंगा साबित हो रहा है।
कुछ महीने पहले जब वैश्विक वित्तीय संकट का खतरा पैदा नहीं हुआ था, तब इन कंपनियों को बैंको की ओेर से 9 से 11 फीसदी की दर से ऋण मिल रहा था। पैसे की किल्लत के चलते भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से शुरू की गई हाइवे परियोजनाओं के समय पर पूरा होने पर संशय खड़ा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि कुल परियोजनाओं की लागत करीब 10,000 करोड़ रुपये है। इनमें से 70 से 75 फीसदी रकम कर्ज के जरिए मुहैया कराई जाती है, जबकि शेष रकम इक्विटी के जरिए जुटाई जाती है। ऐसे में ऊंची ब्याज दरों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ गई है।
कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रुप के प्रमुख और कार्यकारी निदेशक संजय सेठी का कहना है कि बैंकों पर पहले से ही नकदी का दबाव है। हालांकि रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदमों से पिछले कुछ हफ्तों से नकदी की स्थिति में सुधार हुआ है।
बावजूद इसके बैंकों की ओर से कर्ज देने में सतर्र्कता बरती जा रही है। इसकी वजह से कंपनियों को अपनी परियोजनाएं पूरी करने में वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। हाइवे परियोजनाओं से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि ब्याज दरों में इजाफे की वजह से परियोजना के लिए पैसा जुटाना महंगा पड़ रहा है। इसकी वजह से कंपनियों की मार्जिन पर भी असर पड़ रहा है और इससे कंपनी को खास फायदा होने की उम्मीद नहीं है।
मधुकॉन प्रोजेक्ट के सीईओ एस.वी. पटवर्धन ने बताया कि कुछ बैंकों ने सड़क परियोजनाओं के लिए ऊंची ब्याज दरों पर पैसा देने की बात कही है। इसकी वजह से सड़क निर्माण से जुड़े ठेकेदारों को पूंजी जुटाना महंगा पड़ रहा है, वहीं उनका मुनाफा भी घटने का खतरा है।
कुछ लोगों का कहना है कि वित्तीय संकट की वजह से कई परियोजनाओं के समय पर पूरा होने पर सवालिया निशान लगता जा रहा है। नेशनल हाइवे बिल्डर्स फेडरेशन के महानिदेशक मुरली एम. का कहना है कि अगर सरकार परियोजनाओं के लिए आसान ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए कदम नहीं उठाती है, तो परियोजनाओं के समय पर पूरा होने पर संशय बना रहेगा। दरअसल, ऊंची ब्याज दरों की वजह से निर्माण कार्य से जुड़ी कंपनियों को घाटा होने का खतरा है।
कठिन डगर
(राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना -फेज 5 की इन परियोजनाओं को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है)
भरुच-सूरत : 65 किमी
पानीपत-जालंधर : 291 किमी
सूरत-दहिसर : 239 किमी
गुड़गांव-कोटपुतली-जयपुर : 225.6 किमी
चिल्कालुरिपेट-विजयवाड़ा : 82.5 किमी