नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दो महत्त्वपूर्ण ऑडिट से पहले संयुक्त महानिदेशक और भारतीय वायु सेना के अधिकारियों को देश के विमानन विनियामक प्रमुख के पद के लिए आवेदन करने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के वर्तमान प्रमुख अरुण कुमार की सचिव के रूप में पदोन्नति की गई है और जल्द ही उनके से जाने की संभावना है।
डीजीसीए के पास विमानन के विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव वाले चार उप महानिदेशक हैं। प्रस्तावित नियमों में भारतीय वायु सेना के एयर मार्शल और एयर वाइस मार्शल पद के वरिष्ठ अधिकारियों तथा परिवहन क्षेत्र में 15 साल के अनुभव वाले व्यक्ति को भी इस पद के लिए आवेदन करने की अनुमति है।
यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) इस साल भारत के विमानन सुरक्षा तंत्र की जांच करेगा और फिर संयुक्त राष्ट्र का विमानन निरीक्षक-अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) अगले साल की शुरुआत में एक सुरक्षा जांच करेगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘पिछली जांच के दौरान आईसीएओ ने बताया कि महानिदेशक के पद पर भर्ती के नियम और कार्यकाल निश्चित है। इस जांच से पहले हम इसे दुरुस्त कर रहे हैं।’
ये जांच वर्ष 2020 की एयर इंडिया एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद की गई थी, जिसमें पायलट और सह-पायलट सहित 20 लोग मारे गए थे। दुबई से 190 लोगों के साथ आ रहा यह विमान कोझिकोड हवाई अड्डे पर रनवे से आगे निकल गया था और एक खाई में गिर गया था। जांच में दुर्घटना के कारण के रूप में स्पष्ट व्यवस्थित दोषों और नियमों का पालन न करने की ओर इशारा किया गया था।
आईसीएओ और एफएए के अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकन कार्यक्रम में किसी देश के कानूनों, प्रशासनिक नियमों और विनियामकीय कर्मियों को रखने की संपूर्ण पर्याप्तता का मूल्यांकन किया है। भारत के मामले में एफएए और अंतरराष्ट्रीय समीक्षा टीमों ने यात्री यातायात में हो रही वार्षिक दो अंकों की वृद्धि के साथ भारत के नागरिक उड्डयन विनियामक में बार-बार अनुभवी सरकारी कर्मियों की कमी बताई है। वर्ष 2014 में एफएए ने विनियामकीय निगरानी को अपर्याप्त पाकर भारत की विमानन सुरक्षा रैंकिंग को कम कर दिया था। विमानन विनियामकों द्वारा दर्जा घटाए जाने से भारतीय विमान कंपनियों की विदेशी विस्तार योजनाओं में बाधा आएगी, खास तौर पर सबसे ज्यादा एयर इंडिया के संबंध में, जिसका अमेरिका और यूरोप में व्यापक परिचालन है। एयर इंडिया की निजीकरण प्रक्रिया अंतिम चरण में है। दर्जे घटाए जाने के बाद उद्योग की ओर से ऐसा नागरिक उड्डयन विनियामक स्थापित करने के लिए कई मांगें की जा चुकी हैं, जो किसी विमानन विशेषज्ञ की अध्यक्षता में हो और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से स्वतंत्र रहे। विकसित बाजारों में विनियामकों का नेतृत्व अनुभवी विमानन पेशेवरों द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए एफएए का नेतृत्व स्टीव डिक्सन करते हैं, जिनके पास डेल्टा एयर लाइंस का लगभग तीन दशकों का अनुभव है और वह उड़ान परिचालनों के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं।
डीजीसीए का नेतृत्व करने वाले पिछले टेक्नोक्रैट दिवंगत कानू गोहेन (वर्ष 2006 से 2008) थे, जिन्हें उद्योग में 35 वर्षों का अनुभव था। महानिदेशक पद के लिए सरकार द्वारा पेशेवरों और भारतीय वायु सेना अधिकारियों को आवेदन करने की अनुमति दिए जाने के बावजूद नागरिक उड्डयन मंत्रालय तथा डीजीसीए के पिछले और मौजूदा अधिकारियों को संशय है, क्योंकि चयन समिति में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तीन अधिकारी शामिल हैं। साथ ही यह नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) चयन बोर्ड के माध्यम से नहीं होगी।
डीजीसीए के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह आईसीएओ और एफएए अधिकारियों को संतुष्ट करने के लिए मात्र एक ढकोसला है।’ उन्होंने कहा ‘चयन समिति की अध्यक्षता एक कैबिनेट सचिव द्वारा की जाती है और इसमें सदस्य के रूप में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक सचिव और एक संयुक्त सचिव होते हैं। उम्मीदवार का साक्षात्कार यूपीएससी द्वारा भी नहीं किया जाएगा, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा नामित एक आईएएस अधिकारी होगा।’
सरकार ने वर्ष 2007 में महानिदेशक के पद के लिए पात्रता को कम कर दिया था। इससे पहले उम्मीदवार के लिए विमानन में कम से कम 12 वर्ष का अनुभव होना जरूरी था। सरकार ने इसे घटाकर पांच साल कर दिया, जिसके बाद एक करियर नौकरशाह नसीम जैदी को नागरिक उड्डयन का महानिदेशक नियुक्त किया गया था। दरअसल जैदी को आईसीएओ में भारत के प्रतिनिधि के रूप में मॉन्ट्रियल, पवन हंस और भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण में छह साल का अनुभव था।
जैदी के बाद सरकार ने भर्ती के नियमों को स्थगित रखा और तब से मोटे तौर पर करियर अफसरशाह, अक्सर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, ही डीजीसीए का नेतृत्व करते हैं। वर्ष 2016 में जब महानिदेशक का पद खाली हुआ, तो संयुक्त महानिदेशक जितेंद्र सिंह रावत ने इस पद के लिए आवेदन किया था, जिनके पास डीजीसीए में तीन दशकों का अनुभव था। इस बात की तसदीक की गई थी कि उद्योग में चल रहे विस्तार के दौरान अतिरिक्त सचिव स्तर के किसी वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया जाना उचित रहेगा। इसके बाद बिना किसी नियम का पालन करते हुए बीएस भुल्लर को सीधे नियुक्तकर दिया गया था।
एक विमान कंपनी के एक मुख्य परिचालन अधिकारी ने कहा कि पेशेवर के बजाय, नागरिक विमानन के अनुभव वाले किसी नौकरशाह का डीजीसीए का नेतृत्व करना फायदेमंद है। उन्होंने कहा ‘आम तौर पर जिनका नागरिक विमानन में संपर्क होता है, उनका किसी विमान कंपनी के साथ कुछ संबंद्ध होता है, अगर ऐसे किसी व्यक्ति को डीजीसीए का प्रमुख बनाया जाता है तो दिक्कत हो सकती है। डीजीसीए के प्रमुख में नेतृत्व के गुण और कई मंत्रालयों तथा विदेशी सरकारों के साथ समन्वय करने की क्षमता भी होनी चाहिए। कोई अनुभवी आईएएस अधिकारी ही ऐसा कर सकता है।
उन्होंने कहा कि अरुण कुमार, जो एक करियर अफसरशाह भी रहे हैं, ने विमानन सुरक्षा और उद्योग के वाणिज्यिक हित को संतुलित करने की काफी काबिलियत दिखाई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा महानिदेशक अच्छे रहे हैं। वह बहुत बार कड़ाई करते हैं, लेकिन जानते हैं कि कब प्रोत्साहन देना है। यह एक ऐसी काबिलियत है, जो भारत जैसे बढ़ते बाजार के विनियामक के पास होनी चाहिए।
