कर्नाटक के अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) ने कहा है कि भारत में विदेशी इकाइयों की शाखा कार्यालयों (बीओ) द्वारा लाइजनिंग सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा, भले ही उनके बीच लेन देन बगैर प्रतिफल के हुआ हो।
जर्मनी में स्थित कंपनी मुख्यालय की बेंगलूरु बीओ द्वारा की गई बिजनेस और प्रमोशन गतिविधियों से जुड़े मामले में यह आदेश आया है।
केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि अथॉरिटी ने संबंधित व्यक्तियों की अवधारणा का हवाला दिया है, जिसका उल्लेख केंद्रीय जीएसटी ऐक्ट की धारा 15 में किया गया है। इसके मुताबिक आवेदक और उसके मुख्यालय को संबंधित व्यक्ति माना जाएगा।
अथॉरिटी ने कहा, ‘ऐसे में आवेदक द्वारा की गई गतिविधियां आपूर्ति के दायरे में आती हैं, भले ही इसमें प्रतिफल की अनुपस्थिति है और यह भविष्य के कारोबार से जुड़ा मसला है।’
इसने कहा है कि बीओ और एचओ को नियत व्यक्तियों के प्रतिष्ठान के रूप में देखा जाएगा और उनके द्वारा चलाई गई गतिविधियों को सेवाओं का निर्यात नहीं कहा जा सकता है।
सिंह ने कहा, ‘संबंधित व्यक्तियों के बीच लेन देन पर जीएसटी की देनदारी बनेगी, भले ही इस पर प्रतिफल न हो क्योंकि इसके मूल्य का निर्धारण हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है, खासकर जब कोई उचित मानक उपलब्ध न हो।’ इस तरह की सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
