निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के विस्तार की अपील करते हुए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने आज कहा कि निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की वृद्धि दर ऐसे समय में स्थिर रही है, जब देश में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा बढ़ाए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसी योजनाएं परिवर्तनकारी हैं और निजी क्षेत्र के अस्पतालों को निश्चित रूप से इस योजना से तालमेल बिठाना चाहिए। पॉल ने कहा, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आत्मनिरीक्षण करें और विचार करें। हम कर सकते हैं। क्या हम विचार कर सकते हैं कि निजी क्षेत्र में कौन सा मॉडल उभर सकता है?’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का दायरा बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अब पीएम-जय है और यह द्वितीयक और तृतीयक देखभाल में अहम है, अब हमें इसके साथ तालमेल करने की कवायद करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अब मॉडल ज्यादा मुनाफे और कम संख्या से बदलकर ज्यादा संख्या और सुधरे मुनाफे की ओर होना चाहिए। पॉल ने कहा, ‘अब हमें भारत के लोगों को इस सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज से बाहर नहीं छोडऩा चाहिए। हमें साथ मिलकर इसे ठीक करना होगा और योजना को दुरुस्त करना होगा।’ महामारी के दौरान निजी अस्पतालों के काम की प्रशंसा करते हुए पॉल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र ने अपने हिस्से का काम किया, वहीं देश भर में बेहतरीन स्वास्थ्य देखभाल निजी क्षेत्र से सामने आया।
उन्होंने निजी क्षेत्र से कहा कि देश के स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए उन्हें अगले 6 या 9 महीने की स्थिति की कल्पना करके काम करना होगा। उन्होंने कहा कि देश में प्रति हजार लोगों पर एक बेड है। इसे कम से कम प्रति हजार 2 बेड किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को भी स्वास्थ्य बजट मौजूदा 4 से 4.5 से बढ़ाकर 8 प्रतिशत तक करने की जरूरत है। उन्होंने कंपनियों से कहा कि वे अगले वित्त वर्ष के आगामी बजट के लिए अपने सुझाव भेजें। नीति आयोग के सदस्य ने जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में बदलने के लिए सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी पर निजी क्षेत्र से सुझाव मांगे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 6 अस्पतालों को इस विकल्प के तहत रखा गया है। कोविड-19 के बारे में बात करते हुए पॉल ने कहा, ‘हम खतरनाक वायरस से जूझ रहे हैं, जो अपनी आकृति व आकार, व्यवहार व चरित्र बदल रहा है। हम तब तक सुरक्षित नहीं हो सकते, जब तक कि पूरा देश और पूरी दुनिया सुरक्षित नहीं है।’
विशेषज्ञों का कहना है कि हमें भविष्य में कोरोनावायरस महामारी के लिए तैयार रहने की जरूरत है। इसके लिए मल्टीवैलेंट कोविड वैक्सीन पर पहले से काम चल रहा है। बड़ी सकारात्मक बात यह है कि कोई भी टीका किसी भी खास लहर में पूरी तरह असफल नहीं है।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लौर में प्रोफेसर और माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट गगनदीप कांग ने कहा, ‘बहरहाल दुनिया में अब कहीं भी मूल स्टे्रन नहीं है।’ उन्होंने कहा कि जहां तक सार्स कोव-2 वायरस के अन्य स्वरूप को लेकर भविष्य की तैयारियों का सवाल है, इसके लिए एक व्यक्ति को पहला टीका मूल स्टे्रन के मुताबिक और दूसरी खुराक नए वायरस के मुताबिक दिया जा सकता है।
