कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए हुई देशबंदी के बाद विभिन्न क्षेत्रों में इंटरनेट के माध्यम से होने वाले कारोबार का प्रदर्शन मिला जुला रहा है। कुछ क्षेत्रों ने जहां महामारी के पहले के राजस्व को पार कर दिया है, वहीं कुछ क्षेत्र पहले के स्तर को छू पाने में कामयाब नहीं हुए हैं।
सितंबर-अक्टूबर 2020 के दौरान एजूकेशन टेक्नोलॉजी, किराना, फैशन, फूड डिलिवरी और यूपीआई भुगतान के क्षेत्र में कारोबार कोविड के पहले फरवरी में हुए कारोबार की मात्रा या राजस्व के स्तर को पार कर गए हैं। वहीं गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषण के मुताबिक इसी अवधि के दौरान राइड शेयरिंग, क्सासीफाइड, लेंडिंग, एयरलाइंस और होटल को अभी कोविड के पहले के स्तर पर पहुंचना बाकी है।
तमाम सेक्टर में इस दौरान समेकन हुआ है। कुछ बड़े कारोबारियों की बाजार हिस्सेदारी बढ़ी है। ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल खासकर बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं। सितंबर-अक्टूबर के दौरान होटलों की बुकिंग की मात्रा व राजस्व फरवरी की तुलना में महज 30 प्रतिशत रहा। हवाई यात्रा में यह 35 प्रतिशत था।
एयरपोर्ट से जुड़े सूत्रों ने कहा कि दिल्ली हवाईअड्डे पर अक्टूबर में यात्रियों की संख्या पिछले साल की तुलना में 43 प्रतिशत और उड़ानों की संख्या 53 प्रतिशत है। इससे इस सेक्टर की स्थिति का पता चलता है। अंतरराष्ट्रीय यात्रा का हाल इससे भी बुरा है। ट्रैवल कंपनियों का कहना है कि अगर उड़ानें शुरू हो जाती हैं और नवंबर के अंत तक पर्यटन वीजा मिलने लगते हैं, तब भी उन्हें उम्मीद नहीं है कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत से ज्यादा यात्री आएंगे।
आईएटीओ के अध्यक्ष प्रणव सरकार ने कहा, ‘अगर ई-वीजा को अनुमति दे दी जाए, तब भी पर्यटकों को आने की तैयारी में 3 महीने लगेंगे। ऐसे में हम उम्मीद नहीं करते कि शुरुआती स्थिति में सामान्य की तुलना में 10 प्रतिशत से ज्यादा लोग आएंगे। जबकि यूरोप से आने वालों का मुख्य सीजन अक्टूबर से फरवरी है।’
बहरहाल विस्तारा जैसी एयरलाइंस घरेलू क्षेत्र में उड़ानें बढ़ाने पर विचार कर रही हैं क्योंकि सरकार ने अब उड़ानों की संख्या कोविड-19 के पहले की तुलना में 60-75 प्रतिशत की सीमा को बढ़ा दिया है।
एक राज्य से दूसरे राज्य में यात्रा में क्वारंटीन के नियम सरल हो गए हैं, ऐसे में तमाम भारतीय अपने तरजीही पर्यटन स्थलों पर जाने को इच्छुक हैं, जहां मोटरवाहन से जाया जा सकता है। यात्रा का माध्यम जो भी हो, यह होटलों के लिए राहत की बात है।
सार्वजनिक टैक्सी सेवा की रफ्तार भी सुस्त है क्योंकि महामारी में लोग निजी परिवहन को तरजीह दे रहे हैं। सेंसर टावर के ऐप डाउनलोड डेटा के मुताबिक राइड घटकर कोविड के पहले के स्तर की आधी रह गई है। कोविड के इसी तर्क (सार्वजनिक से बेहतर निजी और आउटडोर से बेहतर इनडोर) के मुताबिक कैब की तुलना में ऑटो रिक् शा को तरजीह मिल रही है। उबर इंडिया राइड डेटा के मुताबिक नई दिल्ली जैसी जगहों पर इनका कारोबार पहले ही कोविड के पहले के स्तर के 80 प्रतिशत पर पहुंच चुका है।
इसी तर्क ने ऑनलाइन किराना खरीद, एजूकेशन तकनीक की मांग बढ़ा दी है। ऑनलाइन ग्रोसरी दिग्गज ग्रोफर्स के संस्थापक सौरभ कुमार के मुताबिक मांग तेजी से बढ़ी है। कुमार ने कहा, ‘महामारी के पहले के स्तर की तुलना में 60 प्रतिशत मांग बढऩे के बाद स्थिरता आ गई है। कोविड के पहले की तुलना में खरीद का आकार भी 40 प्रतिशत बढ़ा है और 30 प्रतिशत छूट के बाद भी औसत बिल 1,800 रुपये तक पहुंच गया है।’
बिग बास्केट के नैशनल कैटेगरी हेड सेशु कुमार तिरुमाला ने कहा कि घर तक सुरक्षित डिलिवरी और सुविधा के कारण कोविड के पहले के स्तर की तुलना में ग्राहक 84 प्रतिशत बढ़े हैं।
एडटेक बैजू में 2.5 करोड़ ग्राहकों ने पिछले 5 महीनों में साइन अप किया है, जबकि 4 साल में 4.5 करोड़ लोगों ने किया था। परिणामस्वरूप गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि इसका राजस्व कोविड के पहले के स्तर की तुलना में 200 प्रतिशत बढ़ा है। इस क्षेत्र में समेकन भी हुआ है और कुल बाजार में बैजू की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत हो गई है। बैजू को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 21 में उसका राजस्व एक अरब डॉलर पहुंच जाएगा, जो पिछले वित्त वर्ष के 45 करोड़ डॉलर की तुलना में दोगुने से ज्यादा होगा।
जॉब्स क्लासीफाइड बिजनेस में इनफो एज की बाजार हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है। यह बाजार धीरे धीरे रिकवर करते हुए कोविड के पहले के 75-80 प्रतिशत तक पहुंचा है।
यात्रा, क्लियरट्रिप और ओयो जैसे होटल एग्रीगेटरों के बावजूद मेकमाईट्रिप पर प्रतिस्पर्धा का दबाव कम हुआ है। होटल, एयर और बस बुकिंग में मेक माई ट्रिप की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा है, जिससे कंपनी दबाव झेल पा रही है, वहीं उसके ज्यादातर प्रतिस्पर्धी चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
यूपीआई पेमेंट बिजनेस में फोनपे और गूगल पे का दबदबा है, जिनकी बाजार हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। ग्राहक नकदी से संपर्करहित भुगतान की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन व्हाट्सऐप के आने से इस क्षेत्र में अब चुनौती आ सकती है।
