कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज आरोप लगाया कि सरकार लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट को लेकर संसद में चर्चा नहीं होने देना चाहती है। उन्होंने यह मांग फिर दोहराई कि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को इस्तीफा देना चाहिए जिनके पुत्र इस मामले में आरोपी हैं।
लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले से जुड़ी एसआईटी रिपोर्ट को लेकर बुधवार को लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही आरंभ होने के करीब आधे घंटे बाद अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद राहुल गांधी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि सरकार हमें बोलने की अनुमति नहीं दे रही है, इस कारण सदन में व्यवधान पैदा हुआ है। हमने कहा है कि रिपोर्ट आई है और उनके मंत्री इसमें शामिल हैं, ऐसे में इस पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन वह चर्चा नहीं होने देना चाहते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, तो उन्होंने कहा, और क्या। इससे पहले, उन्होंने इस एसआईटी रिपोर्ट को लेकर आज लोकसभा में कार्यस्थगन का नोटिस दिया था। नोटिस में राहुल गांधी ने सदन में नियत कामकाज स्थगित करने की मांग की थी और कहा था कि एसआईटी रिपोर्ट को लेकर सदन में चर्चा होनी चाहिए।
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अब तक की छानबीन और साक्ष्यों के आधार पर दावा किया है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र और उसके सहयोगियों द्वारा जानबूझकर, सुनियोजित साजिश के तहत घटना को अंजाम दिया गया। एसआईटी के मुख्य जांच निरीक्षक विद्याराम दिवाकर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में दिए गए आवेदन में आरोपियों के विरुद्घ उपरोक्त आरोपों की धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू समेत उसके 13 साथियों पर लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहे किसानों को जीप से कुचलने का आरोप है। इस घटना में और इसके बाद भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।
इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि लखीमपुर खीरी मामले पर संसद में चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि यह अदालत के विचाराधीन है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मामले की जांच जारी है। इस प्रकार के बयान (विपक्षी दलों के) दुर्भाग्यपूर्ण है। यह पूछे जाने पर कि विपक्षी दल इस मामले में चर्चा की भी मांग कर रहे हैं, उन्होंने कहा, संसदीय नियम अदालत के विचाराधीन मामलों पर चर्चा कराने की इजाजत नहीं देते। गोयल ने इस अवसर पर 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा लगातार किए जा रहे हंगामे के लिए भी उन्हें आड़े हाथों लिया।
