जब वह अपने कानूनी मामलों की तैयारी में व्यस्त नहीं होती हैं तो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के ताजा संस्करण से चिपकी रहने वाली अनुराधा दत्त ने कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन इस बार उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्रा अलग तरह की थी। वह नीदरलैंड के हेग में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल में ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ग्रुप का प्रतिनिधित्व कर रही थीं।
ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन ग्रुप पीएलसी 25 सितंबर को भारत सरकार के खिलाफ मध्यस्थता मामला जीत गई। भारत सरकार ने पिछली तारीख से लागू कराधान के मामले में कंपनी से 20,000 करोड़ रुपये की कर की मांग की थी। हेग के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने अपने फैसले में भारत के आयकर विभाग के आचरण को ‘निष्पक्ष एवं न्यायसंगत’ व्यवहार का उल्लंघन करार दिया। ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि भारत सरकार द्वारा वोडाफोन पर लगाया गया कर देनदारी का आरोप भारत और नीदरलैंड के बीच हुई निवेश संधि का उल्लंघन है। दत्त मध्यस्थता अदालत में वोडाफोन पीएलसी का प्रतिनिधित्व करने वाली लॉ फर्म डीएमडी एडवोकेट्स में सीनियर पार्टनर हैं।
अपने 30 साल के करियर में दत्त ने विभिन्न मामलों में काम किया है लेकिन यह उनकी लॉ फर्म का पहला अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मामला था। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में वोडाफोन मामले में डीएमडी एडवोकेट्स की ओर से हरीश साल्वे और टोबी लान्डाउ ने दलीलें दीं। दत्त ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय अदालतें मौखिक के बजाय लिखित दस्तावेजों को अधिक महत्त्व देती हैं जैसा कि भारतीय अदालतों में होता है। इसके लिए काफी तैयारी करनी पड़ती है। हमने इसे एक चुनौती के रूप में लिया।’
