शुक्रवार को मुंबई शहर ‘गणपति बप्पा’ का स्वागत करेगा लेकिन उत्सव थोड़ा फीका रह सकता है। मूर्तियों के आकार पर प्रतिबंध के साथ ही जुलूस के लिए भी मनाही है। पंडाल में आने वाले श्रद्धालुओं पर भी प्रतिबंध है और लगातार दूसरे साल इस त्योहार का आयोजन फीका ही रहने वाला है। नतीजतन त्योहारी बजट कम हो गया है और कंपनियों के प्रायोजन का दायरा भी कम ही है। पारले प्रोडक्ट के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह कहते हैं, ‘पिछले साल से ही त्योहार का उत्साह फीका सा पड़ गया है। इस साल हालात बेहतर हैं तो गणेशोत्सव पंडाल ने हमसे संपर्क किया। हालांकि हमारा मानना है कि भक्त बाहर नहीं निकलेंगे और वे ऑनलाइन दर्शन करना चाहेंगे।’
महाराष्ट्र सरकार ने त्योहारों के लिए जून के अंत में नियम जारी किए। लेकिन हाल ही तक आयोजकों को इन नियमों के कई पहलुओं को लेकर स्पष्टता नहीं थी, मसलन लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल करना है या नहीं, आयोजन स्थलों पर श्रद्धालुओं को जाने दिया जाएगा या नहीं और पंडाल में किस तरह के विज्ञापनों की अनुमति होगी। इसकी वजह से ब्रांडों में अनिश्चितता बनी रही। मुंबई में करीब 12,000 सार्वजनिक मंडल हैं जहां गणेशोत्सव का आयोजन होता है।
इनमें से करीब 3,200 पंडाल सड़कों पर और बाकी आवासीय कॉलोनी में बनाए जाते हैं। गणेशोत्सव के दौरान ब्रांड अपने नए उत्पादों को आजमाते हैं और विज्ञापनदाता इन त्योहारी मौके का इस्तेमाल अपनी ब्रांड सक्रियता अभियान और मार्केटिंग के लिए करते हैं। पहले पारले प्रोडक्ट्स और पारले एग्रो ने बिस्कुट और फ्रूटी टेट्रा पैक से मशहूर लाल बागचा राजा पंडाल की मूर्तियां बनाई थीं।
कोविड के पहले के दौर में विज्ञापनदाता करीब 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक बैनर, होर्डिंग, पंडाल के गेट आदि पर विज्ञापनों के लिए खर्च करते थे। लेकिन इस बार कॉरपोरेट जगत की तरफ से बेहद फीकी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। ग्राहक और ब्रांंड एनालिटिक्स कंपनी टीआरए रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) एन चंद्रमौलि कहते हैं, ‘महाराष्ट्र सरकार कोविड-19 की वजह से नियमों में सख्ती दिखा रही है।
इसने जन्माष्टमी के मौके पर दही-हांडी के उत्सव की अनुमति नहीं थी क्योंकि तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। गणेशोत्सव के दौरान भी सार्वजनिक भागीदारी सीमित होगी और विज्ञापनदाता भी अपने मार्केटिंग बजट को स्थगित रखेंगे और अगले बड़े त्योहारों के दौरान इस पर खर्च करेंगे।’ स्वतंत्र ब्रांड विशेषज्ञ अंबी परमेश्वरन का मानना है कि ब्रांड अपने बजट को फिर से जुटाकर गणेशोत्सव के दौरान उसे टेलीविजन, डिजिटल और प्रिंट माध्यम से जुड़े विज्ञापनों पर खर्च करेंगे। पंडाल में विज्ञापन देने वाली कंपनियां फिलहाल परहेज कर रही हैं और वे त्योहारी सीजन के दौरान अपने आउटलेट पर ही ग्राहकों को आमंत्रित करेंगी।
थॉमस कुक इंडिया के अध्यक्ष और कंट्री प्रमुख (हॉलिडे) राजीव काले कहते है, ‘गणेशोत्सव जैसे त्योहारों के उत्साह से छुट्टिïयों पर जाने की मांग भी बढ़ती है। इस साल भी हम महाराष्ट्र में संभावित जगहों को लक्षित कर रहे है और हम मुंबई, पुणे, नागपुर, कोल्हापुर और नाशिक सहित 15 शहरों के चुनिंदा आउटलेट पर ग्राहकों से संपर्क कर रहे हैं।’ दक्षिण मुंबई के तारदेव सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल के अध्यक्ष सिद्धेश मंगावकर कहते हैं, ‘पहले 10 दिनों के उत्सव पर करीब 25 लाख रुपये खर्च किए जाते थे। पिछले साल करीब 10 लाख रुपये खर्च किए गए और इस साल भी इतना खर्च किया जाएगा।’
मूर्ति के आकार की सीमा तय होने से मूर्ति बनाने वालों के कारोबार पर भी असर पड़ा है और खाने का कारोबार भी प्रभावित हुआ है।