केंद्र ने एक समिति गठित की है, जो पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन कम करने के लक्ष्य के भारत के वादे को पूरा करने पर नजर रखेगी। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पेरिस समझौते के क्रियान्वयन के लिए एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालय शीर्ष समिति गठित करने की अधिसूचना आज जारी की।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक सार्वजनिक बयान में कहा, ‘यह समिति गठित करने का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के मामलोंं पर एक समन्वित पहल शुरू करना है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि भारत अपने राष्ट्रीय निर्धारित योगदानों (एनडीसी) समेत पेरिस समझौते के तहत अपने वादे को पूरा करने के लिए सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।’ राष्ट्रीय निर्धारित योगदानों के तहत भारत ने आठ वादे किए हैं। इनमें तीन मात्रात्मक लक्ष्य हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता में वर्ष 2005 के स्तरों के मुकाबले वर्ष 2030 तक 33 से 35 फीसदी कमी करना, वर्ष 2030 तक गैर-जैव ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से करीब 40 फीसदी स्थापित विद्युत क्षमता हासिल करना और वर्ष 2030 तक जंगलों और पेड़ों के जरिये 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक सृजित करना शामिल हैं। केंद्र की अधिसूचना में कहा गया है कि एआईपीए भारत में कार्बन बाजारों को नियमित करने के राष्ट्रीय प्राधिकरण के रूप में काम करेगा।
पटाखा बिक्री व इस्तेमाल पर एनजीटी की रोक
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने महामारी के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत देश के उन सभी शहरों व कस्बों में हर तरह के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध का निर्देश दिया है, जहां वायु गुणवत्ता ‘खराब’ या उससे ऊपर की श्रेणी में है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाले एक पीठ ने कहा कि उन शहरों व कस्बों में हरित पटाखों के अधिकतम दो घंटे के इस्तेमाल की छूट संबंधी उसका निर्देश जारी रहेगा, जहां वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ या उससे नीचे की श्रेणी में हो। एनजीटी ने कहा कि क्रिसमस और नववर्ष के दौरान उन जगहों पर रात 11 बजकर 55 मिनट से साढ़े बारह बजे तक हरित पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत होगी, जहां वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ या उससे निचली श्रेणी में है। भाषा