संसद ने बुधवार को विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी जिसमें विदेशी अंशदान प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनों के कामकाज में पारदर्शिता के लिए जरूरी प्रावधान किए गए हैं। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी एनजीओ के खिलाफ नहीं है और इसका मकसद पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
इस विधेयक के प्रावधान के अनुसार किसी एनजीओ के पंजीकरण के लिए उसके पदाधिकारियों का आधार देना होगा। राज्यसभा ने बुधवार को इस विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। उच्च सदन में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि यह विधेयक किसी गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के खिलाफ नहीं है बल्कि उन एनजीओ के हित में है जो पूरी पारदर्शिता के साथ अपना काम अच्छे तरीके से कर रहे हैं।
उन्होंने इस आशंका को भी दूर करने का प्रयास किया कि यह किसी भी संगठन को भयभीत करने के लिए है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक विदेशों से मिलने वाले अंशदान के दुरूपयोग और विचलन को रोकने के लिए है। उन्होंने कहा कि विदेशी अभिदाय विनियमन कानून (एफसीआरए) एक राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा कानून है और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विदेशी धन भारत के सार्वजनिक, राजनीतिक एवं सामाजिक विमर्श पर हावी नहीं हो। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। उल्लेखनीय है कि विधेयक पर चर्चा के दौरान ज्यादातर विपक्षी दलों के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे। सदन में रविवार को हुए हंगामे को लेकर आठ विपक्षी सदस्यों के निलंबन के विरोध में विपक्ष के कई दलों के सदस्य सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे हैं। राय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को मजबूत एवं सुरक्षित रखना चाहते हैं और वह देश की हर व्यवस्था में पारदर्शिता लाना चाहते हैं। राय ने कहा कि यह संशोधन विधेयक आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है।
