विकेंद्रीकृत ऊर्जा प्रणाली (डीईएस) से बिजली लेने वाला ग्रामीण उपभोक्ता ऐसे समय पर क्या कर रहा है जब कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगाए जाने पर उसकी भुगतान क्षमता को चोट पहुंची है।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसी राज्य सरकारों ने बड़े ग्राहकों से बिजली शुल्क का नियत हिस्सा वसूल नहीं करने की पहल की है लेकिन डीईएस से संबद्ध ग्राहकों को अपनी आमदनी बुरी तरह से चौपट हो जाने से बिजली पैकेज लेने में कठिनाई हो रही है।
इस समस्या से उबरने के लिए और ऊर्जा आपूर्ति कंपनियों के लिए दीर्घकालीन मांग को ध्वस्त होने से रोकने के लिए, स्मार्ट पावर इंडिया (एसपीआई) ने बिहार और उत्तर प्रदेश के 32 गांवों में बिजली उपभोक्ताओं के लिए रसीद प्रणाली की शुरुआत की है। एसपीआई रॉकफेलर फाउंडेशन की एक पहल है। इसके अलावा एसपीआई ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए 20,000 रुपये तक की विशिष्ट ऋण के लिए सूक्ष्म वित्त संस्थाओं (एमएफआई) के जरिये कर्ज की एक अलग व्यवस्था लाने पर विचार कर रही है।
1 जून से आरंभ होकर पहले महीने के लिए एसपीआई डीईएस का परिचालन करने वाली एनर्जी सर्विस कंपनियों (ईएससीओ) के ग्राहकों को बिजली खरीद रसीदें जारी कर रही है। इन रसीदों के जरिये ग्राहकों के मासिक बिजली बिल का 75 फीसदी जून में, 50 फीसदी जुलाई में और 25 फीसदी अगस्त में भुगतान किया जाएगा।
एसपीआई के मुख्य कार्याधिकारी जयदीप मुखर्जी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘संग्रह में कमी आ रही थी, लिहाजा हमने सभी मिनी ग्रिड परिचालकों के साथ एक बैठक की। हमने कहा कि भुगतान मिले अथवा नहीं लेकिन उन्हें अपनी सेवा जारी रखनी चाहिए और फोन के माध्यम से ग्राहकों से संपर्क करना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता डीईएस से बिजली खरीद क्यों जारी रखना चाहते हैं, इसके वे दो कारण समझना चाहते थे। पहला कारण था आपूर्ति का भरोसा और दूसरा था बिजली से परे की उनकी जरूरत।
एसपीआई ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों में पांच ईएससीओ के साथ मिलकर सर्वेक्षण किया। उन्होंने कहा, ‘ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जो कुछ घटित हुआ है उसे हमने समझा। एक ओर जहां घरेलू मांग जारी है वहीं कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं और उनके हाथ में ज्यादा नकदी नहीं है।’ कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन के असर को समझने के लिए सर्वेक्षण में तीन ग्राहक खंडों को शामिल किया गया था- परिवार, दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान।
मुखर्जी ने कहा घरों और सामुदायिक केंद्रों से बिजली की मांग बरकरार है। भले ही स्कूल और सामुदायिक केंद्र बंद हैं लेकिन एसपीआई के पांच ईएससीओ से बिजली लेने वाले 50 से अधिक ऐसे केंद्रों में से करीब 10 से 12 का उपयोग क्वारंटीन सुविधाओं के लिए किया जा रहा है। ऐसे एक केंद्र पर एक समय में करीब 100 लोग रह सकते हैं। शहरों से लौटने वाले ग्रामीणों को इन केंद्रों में क्वारंटीन के लिए ठहराया गया है।
मुखर्जी ने कहा कि जब लोगों के पास पैसा नहीं होता है तब प्राथमिकता पर ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘वे सरकारी ग्रिड से बिजली खरीद सकते हैं या फिर बिजली खरीदना ही बंद कर दें। ऐसे में, तीन महीने की अवधि के लिए हम रसीद के माध्यम से यह प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करेंगे जो बिजली की खरीद से संबद्ध होगा ताकि उन्हें ऐसा नहीं लगे कि बिजली उनकी कुछ प्राथमिकताओं का स्थान ले रही है। यह उनके वित्तीय स्रोतों के लिए परिपूरक होगा।’ रसीद प्रणाली के माध्यम से परिचालकों को भी समय पर भुगतान मिलेगा जिससे वे अपने अस्तित्व को बचा पाएंगे।
यह अनुदान इलेक्ट्रॉनिक रसीद आपूर्ति प्रणाली के जरिये दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम पहले उन्हें एक संदेश देंगे जिसके बाद उन्हें ईएससीओ से फोन किया जाएगा और तब रसीद भेजी जाएगी।’
