चेन्नई के निकट तिरुपोरुर की 60 वर्षीय सेल्वी ने ओमीक्रोन और इसके प्रभावों के बारे में अभी तक नहीं सुना था। उनके लिए उनका परिवार चिंतित था जिसने उन्हें यहां आने और दूसरी खुराक लेने के लिए मजबूर किया, क्योंकि वह 2 नवंबर की निर्धारित तारीख को चूक गई थीं।
शहर के चेट्टीनाड सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में एक टीकाकरण केंद्र के बाहर खड़ी इस बुजुर्ग ने कहा, ‘मैंने सोचा था कि यह कुछ दिनों में होगा। बाढ़ ने भी मेरे टीकाकरण में देरी कर दी। अब मेरा परिवार कह रहा है कि मामले बढ़ सकते हैं।’ सेल्वी टीकाकरण से हिचकिचाहट या कम रुचि रखने वाले लोगों के उन उदाहरणों में से एक हैं, जो अब देश में नजर आ रहे हैं।
जहां एक ओर देश में पिछले 20 दिनों से टीकाकरण में इजाफा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर पिछले सात दिनों में इस इजाफे ने रफ्तार पकड़ ली है। यह रफ्तार कोविड-19 के एक नए स्वरूप की घोषणा के साथ मेल खाता है, जिसे पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पहचाना गया था।
करीब एक महीने पहले भारत में लगभग 60 लाख खुराक दी जा रही थीं, हालांकि बाद के सप्ताहों में दैनिक टीकाकरण की संख्या घटकर 30 लाख से कम हो गई। 8 नवंबर से दैनिक टीकाकरण में तेजी आ गई है और 1 दिसंबर को देश में दैनिक टीकाकरण का औसत 81 लाख रहा।
पिछले एक सप्ताह के दौरान देश में टीकाकरण में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक सप्ताह पहले इसमें 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई थी।
जिन 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में टीकाकरण के आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें से 24 राज्यों ने पिछले सप्ताह के दौरान टीकाकरण की रफ्तार में तेजी दर्ज की है।
बुधवार को महाराष्ट्र ने 12 लाख खुराक दीं। मंगलवार करीब दो महीने बाद इसने 10 लाख खुराक का आंकड़ा भी पार कर लिया था। पिछली बार इसने 28 सितंबर को एक दिन में 10 लाख से अधिक खुराक दी थीं।
महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) प्रदीप व्यास ने स्वीकार किया कि वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन के संबंध में डर की वजह से सचमूच अधिक लोग अपनी खुराक ले रहे हैं। उन्होंने कहा ‘कोई आंशिक रूप से यह कह सकता है, चिंता के एक नए स्वरूप ओमीक्रोन को लेकर हालिया डर अधिक लोगों को टीकाकरण केंद्रों की ओर ले जा रहा है। अलबत्ता ऐसे कई लोग जिन्होंने अपनी पहली खुराक अगस्त में मिली थी, अब वे भी दूसरी खुराक लेने के लिए आ रहे हैं।’
हालांकि देश में दी गई कुल खुराक में अब दूसरी खुराक की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई है, लेकिन बिज़नेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि पहली खुराक दिए जाने की संख्या पिछले पखवाड़े में बढ़कर 30 प्रतिशत से अधिक हो गई थी। एक महीने पहले तक कुल दी गई खुराकों में पहली खुराक की संख्या 40 प्रतिशत थी।
पिछले सप्ताह के दौरान दूसरी खुराक के टीकाकरण में 7.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि पहली खुराक के टीकाकरण में दो प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत ने 1 दिसंबर तक 78.9 करोड़ लोगों को पहली खुराक दे दी थी। पहली खुराक पाने वालों में से लगभग 60 प्रतिशत लोगों का अब पूरी तरह से टीकाकरण हो चुका है।
टीकाकरण की दर में तेजी लाने के लिए राज्य अनिवार्य और प्रोत्साहनात्मक दोनों ही पहल कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए तमिलनाडु जैसे राज्यों में कुछ स्थानीय निकाय लोगों को आकर्षित करने के लिए साड़ी और वाशिंग मशीन जैसे उपहार दे रहे हैं। दूसरी तरफ केरल ने कहा है कि राज्य कोविड-19 वाले उन रोगियों के उपचार का खर्च नहीं उठाएगा, जिनका टीकाकरण नहीं किया गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि जिन्हें एलर्जी है या उन्हें कोई बीमारी है, उन्हें डॉक्टर का प्रमाण-पत्र दिखाना चाहिए।
गुजरात के स्वास्थ्य आयुक्त जय प्रकाश शिवहरे ने कहा है कि टीकाकरण की दर में सुधार के लिए उनकी जबरदस्ती करने वाले उपायों की योजना नहीं है। उन्होंने कहा ‘हमारे अच्छी कवरेज है, पात्र जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत। हर घर दस्तक के जरिये हमारे निरंतर प्रयास फलीभूत हुए हैं। इसके अलावा जब भी मौजूदा ओमीक्रोन स्ट्रेन जैसा कोई खतरा होता है, तो इसका असर टीकाकरण की दर पर भी पड़ता है।’
तमिलनाडु में, जहां 90 लाख लोगों को अभी एक खुराक लेनी है, वहां सरकार उन लोगों तक पहुंच रही है, जिन्होंने अब तक टीका नहीं लगवाया है और दूसरी खुराक लेने में संकोच कर रहे हैं।
