यातायात में इजाफा होने और फास्टैग अपनाने की दर बढऩे से मार्च महीने में इस प्लेटफॉर्म के जरिये टोल संग्रह 4,095 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। 2016 में डिजिटल टोल संग्रह प्रणाली के आरंभ के बाद से संग्रह का यह उच्चतम स्तर है।
फास्टैग के जरिये टोल संग्रह पहली बार 4,000 करोड़ रुपये के पार गया है।
मार्च का आंकड़ा आने के बाद पूरे वित्त वर्ष के लिए फास्टैग के जरिये राजमार्ग टोल संग्रह 38,084 करोड़ रुपये रहा जो पिछले वर्ष से 68 फीसदी अधिक है। मार्च में हुआ संग्रह पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले करीब 33 फीसदी अधिक है।
करीब एक तिहाई टोल राजस्व वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आया।
क्रमिक आधार पर प्लेटफॉर्म के जरिये टोल संग्रह फरवरी के मुकाबले 13 फीसदी बढ़ा। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च महीने में 27 करोड़ से अधिक फास्टैग लेनदेन दर्ज किए गए जबकि प्रणाली के जरिये जारी किए गए टैग की संख्या करीब 5 करोड़ पर पहुंच गई।
केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष फरवरी में राष्ट्रीय राजमार्गों पर शुल्क प्लाजाओं के सभी लेनों को फास्टैग लेन घोषित किया था।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पहले कहा था कि सवारी गाडिय़ों में फास्टैग को अपनाने की दर 97 फीसदी पर पहुंच चुकी है और मंत्रालय राजमार्ग यात्रियों में से जिन यात्रियों ने इसे नहीं अपनाया है उसके कारणों को चिह्नित करने पर काम कर रहा है।
मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरामाने ने यह भी कहा कि विभाग 2022-23 में 35,000 करोड़ रुपये के टोल राजस्व संग्रह का लक्ष्य लेकर चल रहा है और 2025 के अंत तक इसे 50,000 करोड़ रुपय पर पहुंचाने का मध्यवाधि लक्ष्य बनाया गया है।
हाल में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भी 2022-23 के लिए टोल दरों में इजाफा किया था।
