रूस का कोविड-19 टीका स्पूतनिक-5 का पहला बैच क्लिनिकल ट्रायल के लिए भारत पहुंच चुका है, ऐसे में साझेदार के ठिकाने दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल) में तकनीक के हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है। इसके अतिरिक्त सूत्रों ने कहा कि इस टीके के एक और संस्करण पर काम चल रहा है, जिसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस में स्टोर किया जा सकेगा। अभी इस टीके को सुरक्षित रखने के लिए -18 डिग्री सेल्यियस की दरकार होती है।
रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) और डीआरएल ने भारत में वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के लिए साझेदारी की है और डॉ. रेड्डीज पर यहां इस टीके के वितरण की
जिम्मेदारी होगी।
सितंबर में डीआरएल और आरडीआईएफ ने भारत में टीके के क्लिनिकल ट्रायल और उसके वितरण के लिए गठजोड़ किया था। आरडीआईएफ इस टीके का 10 करोड़ डोज डीआरएल को आपूर्ति करेगा। यह उत्पादन साझेदार की साइट पर भारत में होगा।
डॉ. रेड्डीज लैब के प्रवक्ता ने कहा कि तकनीक का हस्तांतरण साझेदार की साइट पर हो रहा है और यह भी बताया कि क्लिनिकल ट्रायल के लिए टीका का बैच पहुंच चुका है। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अभी स्टोरेज के लिए -18 डिग्री सेल्यिसस तापमान की दरकार है। हम इससे कम तापमान पर स्टोरेज पर काम कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि कुछ ही महीने के भीतर स्पूतनिक-5 का नया संस्करण विकसित कर लिया जाएगा, जिसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकेगा। सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि तकनीक के हस्तांतरण का काम एक साइट पर शुरू हो चुका है और जल्द ही दूसरा साइट भी शुरू किया जाएगा।
डॉ. रेड्डीज इस बारे मेंं जानकारी साझा नहीं करना चाहती कि भारत में स्पूतनिक-5 के विनिर्माण के लिए कौन साझेदार है। हैदराबाद की फर्म ने यहां टीके के वितरण के लिए कोल्ड चेन समाधान पर काम शुरू कर गिया है और उसकी योजना यहां विनिर्मित टीके को वैश्विक वितरण केंद्र तक इंसुलेशन बॉक्स में ले जाने की है और उसके बाद ट्रक उसे अंतिम ठिकाने तक ले जाएगा।
इस हफ्ते रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने कहा था कि स्पूतनिक-5 का उत्पादन चीन और भारत में हो सकता है।
उन्होंंने कोविड-19 के टीके को विकसित करने के लिए ब्रिक्स देशों की संयुक्त कोशिश का आह्वान किया था।
टीके बनाने वाली दिग्गज मॉडर्ना और फाइजर ने दावा किया है कि उनका टीका काफी ज्यादा कारगर रहा है, वहींं रूस के स्वास्थ्य विभाग ने भी दावा किया है कि स्पूतनिक-5 टीका 92 फीसदी कारगर रहा है, जिसका ट्रायल वॉलंटियर्स के एक समूह पर किया गया, जो तीसरे चरण के ट्रायल का हिस्सा था।
ये नतीजे ट्रायल में शामिल 20 प्रतिभागियों के विश्लेषण पर आधारित हैं, जिसमें एक डोज लेने वाले 20,000 लोग और दो डोज लेने वाले 16,000 लोग हैं। इसके कारगर होने का मतलब यह है कि जब कोविड पॉजिटिव लोगों को प्लेबेको समूह व टीकाकृत समूह के बीच बांटा गया तो टीकाकृत समूह के 92 फीसदी सुरक्षित पाए गए।
इस बीच, डॉ. रेड्डीज स्पूतनिक-5 के दूसरे व तीसरे चरण का ट्रायल करेगा और पहले ही बोयोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्सेंस काउंसिल के साथ साझेदारी का ऐलान कर चुकी है।
