राज्यसभा में मंगलवार को चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित हो गया। सदन में हंगामे और विपक्षी दलों के शोर-शराबे के बीच यह विधेयक कानून बन गया। विधेयक के विरोध में तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने नियमावली सभापति की ओर उछाल दी। सदन के नेता पीयूष गोयल ने ब्रायन के इस कदम को निंदनीय करार दिया।
इससे पहले विपक्षी दलों ने यह कहते हुए विरोध जताया कि सरकार आनन-फानन में यह विधेयक पारित कराना चाह रही है। सदन में विधेयक प्रस्तुत किए जाने से कुछ ही घंटों पहले इसे संसदीय कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) के समक्ष चर्चा के लिए लाया गया था। बीएससी सदन में विधायी कार्यों पर निर्णय लेती है। इसका नतीजा यह हुआ कि विधेयक पारित होने के बाद तुरंत ही सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य लौट आए।
कुछ विपक्षी दलों जैसे अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल ने इस विधेयक का समर्थन किया मगर उनका भी कहना था कि विधेयक के कुछ प्रावधान चिंता का कारण हैं। विपक्षी दलों ने कई संशोधन लाने की कोशिश की मगर अध्यक्ष ने मत विभाजन की अनुमति नहीं दी क्योंकि विपक्षी सदस्य अपनी सीट पर नहीं थे। लोकसभा में चर्चा न के बराबर हुई मगर राज्यसभा में कार्यवाही में कई बार व्यवधान आया और विपक्षी सांसद ‘हमें न्याय चाहिए’ का नारा लगा रहे थे।
विपक्षी दलों के नेताओं ने इस विधेयक के संबंध में अपनी चिंताओं की वजह बताई। उन्होंने कहा कि उन्हें इस संशोधन पर कोई आपत्ति नहीं है कि 18 वर्ष से ऊपर के वयस्क एक साल में एक बार के बजाय अब चार बार अपना नाम दर्ज कराने का मौका पा सकते हैं। उन्होंने मतदाता पहचान पत्र में ‘पत्नी’ शब्द के बजाय ‘जीवनसाथी’ किए जाने पर भी कोई आपत्ति नहीं जताई। मगर विपक्षी दल इस बात पर एकमत थे कि आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोडऩा एक खतरनाक कदम है। उन्होंने कहा कि कई लोगों के पास आधार कार्ड नहीं हैं इसलिए इस प्रावधान के बाद उनके नाम मतदाता सूची से बाहर रह सकते हैं।
सरकार ने तर्क दिया कि किसी नागरिक की ‘निवास स्थिति’ का पता करने के लिए आधार सबसे श्रेष्ठ जरिया है। भाजपा के सुशील मोदी ने कहा कि विपक्षी अपना अल्पसंख्यक वोट बैंक सुरक्षित रखने के लिए विरोध जता रहे हैं। मोदी ने कहा कि ऐसे कई लोग हैं जो भारत के नागरिक नहीं हैं मगर उनके पास मतदाता पहचान पत्र है। उन्होंने कहा कि ऐसे मतदाताओं की वजह से पश्चिम बंगाल में हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के खिलाफ गए। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोडऩे पर विधि एवं न्याय पर संसद की स्थायी समिति में व्यापक चर्चा हुई थी।
विधि मंत्री किरण रिजिजू ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को मतदाता सूची के साथ जोडऩे की प्रक्रिया अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक है। उन्होंने सदन को बताया कि संसद की स्थायी समिति ने ऐसी सिफारिश की थी। स्थायी समिति ने यह भी गौर किया था कि पुत्तास्वामी आदेश की पृष्ठभूमि में कानून में संशोधन जरूरी था और वह संशोधन प्रभावी बनाया जा रहा है।
बीजद के सुजीत कुमार ने विधेयक में संतुलन साधने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया की गरिमा बनाए रखना जरूरी है मगर डेटा सुरक्षा कानून नहीं होने के कारण लोगों की निजता की सुरक्षा भी जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘सरकार कह रही है कि वह मतदाता पहचान पत्र को आधार प्रणाली से जोड़ देगी। इसका आशय यह हुआ कि आधार कार्ड में निहित सूचनाएं सरकार, चुनाव आयोग आदि में साझा की जाएंगी जिससे लोगों की निजता कई रूपों में सार्वजनिक हो जाएगी।’
बाद में पीयूष गोयल ने जब सदन में बोलना शुरू किया तो उस समय कोई भी विपक्षी सदस्य मौजूद नहीं था। गोयल ने कहा कि विपक्षी सदस्यों का मौजूद नहीं रहना यह दर्शाता है कि विपक्ष सदन की कार्यवाही में खलल डालना चाहता है। उन्होंने अपने दल के सदस्यों को याद दिलाया कि 2010 में सदन में इसी तरह व्यवधान की स्थिति उत्पन्न हुई थी जब भाजपा विपक्ष में थी। उस समय सदन में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने अध्यक्ष के समक्ष खेद प्रकट किया था। गोयल ने कहा कि उस समय भाजपा का कोई सदस्य निलंबित भी नहीं किया गया था। माफीनामा दिए जाने के बाद एक सदस्य को छोड़कर सभी सदस्यों का निलंबन वापस ले लिया गया।
संसद के बाहर यह साफ हो गया कि निलंबित सांसदों सहित कोई भी सांसद किसी भी बात के लिए माफी मांगने के लिए तैयार नहीं था। राहुल गांधी ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया जिसे शिवसेना और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी संबोधित किया। विपक्षी नेता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय टेनी को बर्खास्त किए जाने की मांग कर रहे थे। राहुल गांधी ने टेनी को ‘अपराधी’ तक करार दे दिया।
डेरेक ओ ब्रायन निलंबित
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन को राज्यसभा में मंगलवार को सदन की नियमावली पुस्तिका आसन की ओर उछालने के कारण सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। उच्च सदन में पीठासीन अध्यक्ष डॉ. सस्मित पात्र ने सदन में निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को पारित किए जाने के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन द्वारा नियमावली पुस्तिका आसन की ओर उछाले जाने का जिक्र किया।