पंजाब के कई इलाकों में गुरुवार को किसानों ने तीन दिवसीय रेल रोको आंदोलन की शुरुआत की। यह आंदोलन किसान मजदूर संघर्ष समिति और अन्य किसान संगठनों द्वारा केंद्र सरकार के कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयकों के विरोध में शुरू किया गया है।
उधर रेलवे ने कहा है कि इस आंदोलन के कारण खाद्यान्नों तथा अन्य आवश्यक सामग्रियों की ढुलाई के साथ-साथ विशेष ट्रेनों के जरिये यात्रियों की आवाजाही पर भी बुरा असर होगा। आंदोलन के चलते फिरोजपुर रेल संभाग ने विशेष ट्रेनों का परिचालन रोक दिया है। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए ऐसा किया गया है। रेल अधिकारियों के मुताबिक 14 जोड़ी विशेष ट्रेनों को 24 सितंबर से 26 सितंबर तक निलंबित किया गया है। यह फैसला यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे संपत्ति को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि कुल 31 किसान संगठनों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ 25 सितंबर को पंजाब में पूर्ण बंद का आह्वान किया है। पंजाब के किसानों को आशंका है कि इन विधेयकों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करने का रास्ता साफ हो जाएगा और वे बड़े पूंजीपतियों की दया पर निर्भर हो जाएंगे।
अधिकारियों ने कहा कि पंजाब में इस साल अगस्त में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का 990 रेक खाद्यान्न का लदान किया गया। इसके अलावा 23 सितंबर तक 816 रेक लदान किया जा चुका है। एफसीआई पंजाब से रोजाना 35 से अधिक रेक लदान करा रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब में रोजाना 9-10 रेक उर्वरक, सीमेंट, ऑटो और मिश्रित खाद्य सामग्री कंटेनरों में लादी जा रही है। इसके अलावा राज्य में रोजाना 20 रेक कोयला, खाद्यान्न, कृषि उत्पाद, मशीनरी पेट्रोलियम उत्पाद लाए जाते हैं। रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘पंजाब रेल आंदोलन से खाद्यान्नों और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लदान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे आम लोगों, तेजी से उबर रही रेलवे माल ढुलाई सेवा तथा अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।’
संसद ने पिछले दिनों आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पारित कर दिया। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये विधेयक कानून का रूप लेंगे। इन विधेयकों के पारित होने को असंवैधानिक बताते हुए विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी और उनसे आग्रह किया था कि वह हस्ताक्षर न करें।
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े विधेयकों के माध्यम से देश में नई जमींदारी प्रथा शुरू की है और इस कदम से मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया कि राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त संया नहीं थी जिस कारण मतदान नहीं कराया गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि संसद से पारित कृषि विधेयक किसानों के हितों के विरुद्ध हैं और अगर आवश्यकता पड़ी तो कांग्रेस इनके खिलाफ अदालत का रुख कर सकती है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भी कहा कि केंद्र सरकार किसानों को भरोसे में लेकर निर्णय लेती तो बेहतर होता। समाजवादी पार्टी (सपा) इन विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर को प्रदेशव्यापी अभियान के तहत जिलाधिकारियों के माध्यम से राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि कृषि विधेयकों में समस्याएं और खामियां हैं तथा राज्यसभा में इन विधेयकों पर हुआ मतदान संदेहास्पद एवं निंदनीय है।
कृषि सुधार विधेयकों पर कांग्रेस के विरोध को नकारते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि संसद में पारित कृषि सुधार विधेयकों में कोई भी प्रावधान ऐसा नहीं है जिससे किसानों का नुकसान होने वाला हो। (साथ में एजेंसियां)
