देश में महिलाओं के नेतृत्व वाले छोटे उद्यमों पर कोविड-19 महामारी के विपरीत प्रभाव ने सामाजिक-आर्थिक अंतर को और बढ़ाया है। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। आंध्र प्रदेश के क्रिया विश्वविद्यालय में ‘लीड’ और ग्लोबल अलायंस फॉर मास एंटरप्रेन्योरशिप (गेम) के संयुक्त अध्ययन में देश में छोटे कारोबारों पर कोविड-19 के असर का पता लगाया गया। लीड एक गैर-लाभकारी शोध संगठन है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकारों, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को महिलाओं पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल लैंगिक तौर पर संवेदनशील नीतियां अपनाने की जरूरत है, ताकि हालात बेहतर किए जा सकें। यह सर्वेक्षण मई में शुरू हुआ और यह जनवरी तक चलेगा। इसमें लैंगिक आधार पर आंकड़े जुलाई-अगस्त में एकत्रित किए गए। करीब 1,800 सूक्ष्म इकाइयों के बीच सर्वेक्षण किया गया।
सर्वेक्षण उत्तरी क्षेत्र में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दक्षिण क्षेत्र में तमिलनाडु और पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में किया गया। छठवीं आर्थिक जनगणना के मुताबिक देश में करीब 80 लाख इकाइयों की मालिक महिला उद्यमी हैं और यह देश में कुल इकाइयों का करीब 13 प्रतिशत है। सर्वेक्षण के मुताबिक कोविड-19 से हुए लॉकडाउन पर महिलाओं के नेतृत्व वाली सूक्ष्म और लघु इकाइयों पर अधिक पड़ा है। यह अधिक जोखिम का सामना कर रही हैं क्योंकि इनमें से अधिकतर लोग बहुत कम मार्जिन पर काम करते हैं। पुरुषों द्वारा चलाई जाने वाली सूक्ष्म इकाइयों के मुकाबले उनके सामने अस्थिर होने का डर भी अधिक है। सर्वेक्षण के अनुसार देश में महिलाओं को सांस्कृतिक मानदंडों और प्रतिबंधों के साथ काम करना होता है। साथ ही उनके सामने बुनियादी और प्रणालीगत बाधाएं भी आती हैं। ऐसे में उनके पास जोखिम लेने, गलतियां करने और सबसे अधिक असफल होने का विकल्प नहीं होता। ना तो उनके पास इसकी स्वतंत्रता है और ना ही आजादी।
मासिक तौर पर 10,000 रुपये से कम लाभ बनाने वाली इकाइयों में महिलाओं द्वारा संचालित इकाइयों का प्रतिशत 43 है जबकि पुरुषों की श्रेणी में यह केवल 16 प्रतिशत है। इसी तरह बिना किसी सहयोगी के अकेले इकाइयां चलाने वाली महिलाओं का प्रतिशत 40 है जबकि पुरुषों की श्रेणी में यह मात्र 18 प्रतिशत है।
एनसीआर: वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के फरीदाबाद, गुडग़ांव, नोएडा, ग्रेटर नोएडा व गाजियाबाद में रविवार को वायु गुणवत्ता ‘खराब’ दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, दिल्ली से सटे पांच शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर भी बहुत ज्यादा रहा। शून्य से 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।
सीपीसीबी की समीर ऐप के अनुसार, रविवार शाम चार बजे हरियाणा के फरीदाबाद में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 236 रहा जबकि यह गुडग़ांव में 242 दर्ज किया गया। इसी तरह से उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक्यूआई 238 रहा जबकि ग्रेटर नोएडा में यह 273 और गाजियाबाद में 300 दर्ज किया गया। शनिवार को एक्यूआई फरीदाबाद में 171, गुडग़ांव में 204, नोएडा में 233, ग्रेटर नोएडा में 266 और गाजियाबाद में 240 दर्ज किया गया था। सीपीसीबी ने कहा कि एक्यूआई के ‘खराब’ श्रेणी में रहने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां हो सकती हैं। भाषा