बुधवार को वामपंथी ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा आहूत दिनभर की हड़ताल का पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान सहित देश के बाकी हिस्सों पर भी असर देखा गया।
बढ़ती मुद्रास्फीति और केन्द्र की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के समर्थन में बुलाई गई हड़ताल का पश्चिम बंगाल में व्यापक असर देखा गया। हड़ताल ने कोलकाता के साल्ट लेक स्थित महत्वपूर्ण आईटी क्षेत्र को भी नहीं बख्शा।
हवाईअड्डा कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से कोलकाता की उड़ानों को निरस्त कर दिया गया। केरल में जनजीवन ठप हो गया लेकिन प्रदेश में वायुसेवा पर कोई प्रभाव नहीं दिखा। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बहाल रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स कर्मियों को तैनात किया गया।
हवाई यातायात थमा
हवाई अड्डों के निजीकरण और वेतन मुद्दे को लेकर हवाई अड्डा कर्मचारियों की 12 घंटे की हड़ताल के कारण नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर छह उड़ानों को रद्द कर दिया गया। इनमें से अधिकतर उड़ानें कोलकाता के लिए थी। ‘सेंट्रल पब्लिक सेक्टर ट्रेड यूनियंस’ के आम हड़ताल के आह्वान के समर्थन में यह हड़ताल की गई।
हड़ताल के कारण कोलकाता और मुंबई जाने वाले जेट एयरवेज के दो विमान आज उड़ान नहीं भर सके। इसके अलावा इंडिगो, स्पाइस जेट, डक्कन और जेट लाइट की भी एक एक उड़ान रद्द की गई है। हड़ताल के मद्देनजर महत्वपूर्ण सेवाओं को बनाए रखने के लिए भारतीय वायुसेना के करीब 250 कर्मचारियों को 21 हवाईअड्डों पर तैनात किया गया।
हवाई अड्डा प्राधिकरण के सैकड़ों कर्मचारियों ने हवाई अड्डा के घरेलू, अंतरराष्ट्रीय और मालवाहक टर्मिनलों पर प्रदर्शन किया। कर्मचारी अच्छे वेतन और दिल्ली, मुंबई, बेंगलूर, हैदराबाद तथा नागपुर हवाई अड्डों के कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा की मांग कर रहे थे।
बंदरगाह भी प्रभावित
बंदरगाह के हजारों कर्मचारी छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट में अपने साथ किए गए अनुचित व्यवहार के विरोध में हड़ताल में शामिल हुए। हड़ताल की वजह से कोलकाता, हल्दिया और विशाखापत्तनम के बंदरगाहों पर कामकाज प्रभावित हुआ।
ट्रेन, सड़क यातायात और कारोबार पर असर
पश्चिम बंगाल में ट्रेन, सड़क और प्रमुख बाजारों में कामकाज ठप रहा। बंगाल और केरल के विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेनें खड़ी रहीं। बसें नहीं चलीं, वहीं लंबी दूरी के ट्रेनों को रद्द कर दिया गया।
बैंकों, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में काम नहीं
सरकारी कार्यालयों, बैंकों, ओएनजीसी और गेल इंडिया जैसी सार्वजनिक उपक्रमों में कोई भी उपस्थिति नहीं दर्ज की गई। भारतीय स्टेट बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों का एक धड़ा हड़ताल पर रहा, जिनका विरोध सरकारी बैंकों के विलय तथा बैंकिंग उद्योग में आउटसोर्सिग को लेकर है।
40,000 शाखाओं में बैंकिंग कामकाज बाधित हुआ। वहीं प्रस्तावित आईपीओ के विरोध में प्रमुख दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे।