सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की अधिशेष जमीन एवं जायदाद बेचने के लिए एक नई ऑनलाइन व्यवस्था तैयार करने जा रही है। समझा जा रहा है कि इस कदम से सरकार को सार्वजनिक इकाइयों की गैर-जरूरी जायदाद बेचकर रकम जुटाने में मदद मिल सकती है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार सरकार ने सार्वजनिक कंपनी एमएसटीसी लिमिटेड को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की गैर-जरूरी परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए एक ई-नीलामी व्यवस्था तैयार करने के लिए कहा है। अधिकारी ने कहा कि इस व्यवस्था के तहत सार्वजनिक इकाइयों की जायदाद एवं भूमि खरीदेने में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को एक ही जगह सभी आवश्यक सुविधाएं मिल जाएंगी। उन्होंने कहा कि एक महीने के भीतर यह व्यवस्था तैयार हो जाएगी और बजट में इसकी घोषणा भी की जा सकती है।
इस प्लेटफॉर्म का संयोजन निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) करेगा। पहले इस प्लेटफॉर्म पर उन सार्वजनिक इकाइयों की जायदाद बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी, जिनमें सरकार ने रणनीतिक विनिवेश को हरी झंडी दे दी है। अधिकारी ने कहा कि शुरू में इस प्लेटफॉर्म पर 600 करोड़ रुपये मूल्य के जायदाद की बिक्री की जाएगी। कुछ अन्य जायदाद की बिक्री पर भी चर्चा चल रही और इनकी बिक्री की शीघ्र ही मंजूरी दी जा सकती है।
जिन सार्वजनिक इकाइयों की जायदाद की बिक्री होगी उनमें बीएसएनएल, एमटीएनएल और बीईएमएल सहित अन्य शामिल होंगी। सरकार ने बीईएमएल में अपनी हिस्सेदारी बेचने से संबंधित प्रारंभिक सूचना मसौदा रविवार को जारी किया था। बीईएमएल की गैर-जरूरी परिसंपत्तियां अलग कर दी जाएंगी और यह प्रस्तावित हिस्सेदारी बिक्री का हिस्सा नहीं होंगी। अधिकारी ने कहा कि इस नए प्लेटफॉर्म के जरिये बीईएमएल की जायदाद भी बेची जा सकती है।
डॉ. बी आर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति एन आर भानुमर्ति ने कहा कि डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से सरकार को ऐसी परिसंपत्तियां बेचने में आसानी होगी, जो कई वर्षों से विभिन्न कारणों से अटकी हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार उन सार्वजनिक इकाइयों की जायदाद बेचने में सफल रहेगी जो जमीन के मालिकाना हक और सर्किल रेट जैसे मुद्दों के कारण फंसी हुई थीं।’ भानुमूर्ति ने कहा अब कुछ हद तक जमीन से जुड़ी जानकारी डिजिटल रूप में उपलब्ध होने से सरकार को बिक्री प्रक्रिया आसानी से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को गैर-जरूरी परिसंपत्तियां बेचने के लिए कहती रही है ताकि ऐसी परिसंपत्तियों से कुछ रकम हासिल हो सके। हालांकि विचाराधीन मामलों और पट्टे की शर्तों के कारण सार्वजनिक इकाइयां अपनी जायदाद नहीं बेच पाई हैं। इस वर्ष सरकार सार्वजनिक इकाइयों को संपत्ति बेचने की येाजना पेश करने के लिए कहा है। यह योजना सरकार के साथ साझा की जाने वाली समझौते के मसौदे का हिस्सा होगी।
