केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि कोरोनावायरस संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में विभिन्न आयु वर्ग समूहों में कोविड संक्रमण की संख्या लगभग एक समान रही है। एक साल से लेकर 10 साल उम्र वर्ग के बच्चों में संक्रमण दोनों लहरों के दौरान तीन प्रतिशत से थोड़ा अधिक था। हालांकि, दूसरी लहर के दौरान युवाओं में संक्रमण के मामले में मामूली वृद्धि हुई और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में संक्रमण के मामले में थोड़ी कमी आई। दूसरी लहर के दौरान लगभग 23 प्रतिशत संक्रमण 31-40 उम्र वर्ग में देखा गया जबकि पहली लहर में इस उम्र वर्ग में संक्रमण के 21 प्रतिशत मामले देखे गए थे।
आंकड़े साझा करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि भय का माहौल बनाया जा रहा है कि दूसरी लहर में बच्चे और युवा बड़ी संख्या में संक्रमित हो गए हैं। अग्रवाल ने भारत में कोविड की स्थिति का ब्योरा देते हुए संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘दूसरी लहर के दौरान प्रत्येक आयु समूह में संक्रमण समान अनुपात में रहा है। जो लोग अभी तक प्रभावित नहीं हुए हैं वे अब भी वायरस को लेकर संदेह से घिरे हैं और उन्हें ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। 1 जुलाई से 31 दिसंबर, 2020 तक पहली लहर के दौरान 21 से 30 साल उम्र वर्ग में 21-23 फीसदी संक्रमण के मामले देखे गए। दूसरी लहर के दौरान, 15 मार्च से 25 मई तक इस उम्र समूह में कुल संक्रमण करीब 22.5 फीसदी तक था।’ संक्रमण की पहली लहर के दौरान 31 से 40 साल उम्र वर्ग के लोगों में संक्रमण 21-23 फीसदी थी जो महामारी की दूसरी लहर के दौरान बढ़कर 22.7 फीसदी तक हो गई। हालांकि भारत में सबसे पहले पाए गए वायरस के डेल्टा किस्म की वजह से दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की संख्या में तेजी आई लेकिन सरकार की नजर यूरोप में उभरे एक नए डेल्टा प्लस किस्म पर भी है।
यह पाया गया है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इलाज, वायरस की नई किस्म से बचाव में कारगर नहीं रहा। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) और कोविड पर राष्ट्रीय कार्यबल के अध्यक्ष वी के पॉल ने कहा कि वायरस की यह किस्म काफी दिलचस्प है लेकिन अभी यह शोध जारी है कि यह चिंता का विषय है या नहीं। पॉल ने कहा, ‘हम इस बारे में चिंतित हैं। हम इसकी अहमियत को समझ रहे हैं और यह नजर रख रहे हैं कि वायरस की यह किस्म विश्व स्तर पर कैसे फैल रही है और इसकी भारत में उपस्थिति है या नहीं। हमारा तंत्र इसी हिसाब से अपनी प्रतिक्रिया देगा।’ सरकार ने कहा कि भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक कॉन्सोर्टिया या इनसैकोग अपनी 28-प्रयोगशाला प्रणाली के साथ नए किस्म पर लगातार नजर रखेगी। पॉल ने कहा, ‘वायरस की नई किस्मों को मारने का कोई तरीका नहीं है। हमें वायरस को फैलने का मौका नहीं देना है। अगर हम इसके प्रसार को कम करते हैं तब हम वायरस की किस्मों को भी कम कर देंगे।’
कोविड संक्रमण मामले में गिरावट के साथ ही देश में साप्ताहिक संक्रमण दर घटकर 4.8 फीसदी के स्तर पर आ गई। 13 जून को खत्म हुए सप्ताह में देश के 165 जिलों में 100 से अधिक संक्रमण के मामले दर्ज किए गए है और इनमें से ज्यादातर देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में देखे गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि संक्रमण के सक्रिय मामलों में लगातार गिरावट आई है। देश में 65 दिनों के बाद दस लाख से भी कम सक्रिय मामले हैं।
