कोविड-19 के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की सूची में सेप्सिस की एक दवा को शामिल किया गया है। भारत सीरम ऐंड वैक्सीन लिमिटेड (बीएसवीएल) की यह दवा अब तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण से गुजर रही है। अमेरिका की निजी इक्विटी कंपनी एडवेंट इंटरनैशनल के निवेश वाली मुंबई की इस दवा कंपनी को इंजेक्शन वाली इस दवा के लिए देश के औषधि नियामक से मंजूरी मिल गई है। कंपनी यू-ट्रिप ब्रांड के तहत इस दवा की बिक्री करती है।
बीएसवीएल फिलहाल कोविड-19 के लिए किसी भी संभावित टीके पर काम नहीं कर रही है और ऐसा करने की उसकी कोई योजना नहीं है।
बीएसवीएल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी संजीव नवांगुल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि कंपनी ने यूलिनैस्टेटिन दवा के लिए करीब दो महीने पहले औषधि नियामक से संपर्क किया था। उन्हें कोविड मरीजों पर क्लीनिकल परीक्षण करने के लिए पिछले सप्ताह मंजूरी मिली। इसके तहत यह देखने की कोशिश की जाएगी कि यह दवा एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) यानी श्वसन संबंधी गंभीर बीमारी पीडि़त कोविड मरीजों के लिए कितनी कारगार साबित होती है। नवांगुल ने कहा कि करीब 120 रोगियों पर इसका क्लीनिकल परीक्षण जल्द ही शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस दवा की कीमत करीब 1,500 रुपये प्रति शीशी है। एआईओसीडी अवाक्स के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में इस दवा की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 36 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
नवांगुल ने कहा, ‘इसमें एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण हैं और यह साइटोकाइन स्टॉर्म को रोकती है। इसके चारों हेपेथेसिस बिल्कुल स्पष्ट है। कोविड-19 से संक्रमित रोगियों में एआरडीएस विकसित होते हैं और अंतत: उन्हें वेंटिलेटर की सहायता लेनी पड़ती है। इसलिए इस परीक्षण के जरिये यह देखने की कोशिश की जाएगी कि एआरडीएस के खिलाफ यह दवा कितनी प्रभावी है।’
नवांगुल ने कहा कि किसी भी क्लीनिकल परीक्षण के लिए रोगियों की भर्ती में करीब 3 महीने का समय लगता है और उसके बाद 28 दिनों के लिए परीक्षण किया जाता है। परीक्षण के बाद प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है जिसमें पांच से छह महीने का समय लगता है।
नवांगुल ने कहा कि इस परीक्षण के लिए मानदंड मामूली से गंभीर एआरडीएस पीडि़त रोगी है। इसका मतलब यह हुआ कि रोगियों में सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण होने चाहिए। इसके तहत उन रोगियों को रखा जाएगा जिन्हें फिलहाल वेंटिलेरर पर नहीं रखा गया है। परीक्षण के तहत आने वाले रोगियों पर पांच दिनों तक उपचार किया जाएगा।
कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति में एआरडीएस और निमोनिया के लक्षण विकसित होने पर मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। एआरडीएस के कारण सूखी खांसी, सांस लेने में भारीपन, सांस में तकलीफ और हृदय गति में वृद्धि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कंपनी ने कहा कि ऐसे मामलों में कोविड-19 संक्रमित रोगियों में एआरडीएस संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए यूलिनैस्टेटिन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत में फिलहाल गंभीर सेप्सिस के उपचार के लिए यूलिनैस्टेटिन का इस्तेमाल किया जाता है। बीएसवीएल का मानना है कि यह एंटी-इनफ्लेमेटरी दवा कोविड-19 से संक्रमित रोगियों के लिए भी कारगर साबित हो सकती है क्योंकि कोविड-19 संक्रमण के गंभीर रोगियों में प्रो-इनफ्लेमेटरी साइटोकिन्स में वृद्धि होती है जो फेफड़े को नुकसान पहुंचा सकता है।
नवांगुल का मानना है कि इससे रोगियों के स्वस्थ होने के समय के साथ-साथ मृत्यु दर में भी कमी आ सकती है। चूंकि यह दवा पहले से ही बाजार में बिक रही है, इसलिए इसका सुरक्षा प्रोफाइल पहले से ही स्थापित है। कोविड-19 के मरीजों पर इसके अच्छे परिणाम दिखने के तुरंत बाद इसका उपयोग किया जा सकता है।
