राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से इस पद पर आने वाली पहली शख्सियत और प्रतिभा पाटिल के बाद भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति बन सकती हैं।
ओडिशा के मयूरभंज जिले, जिससे उनका संबंध है, की महिलाएं प्रमुख संकेतकों में काफी पीछे हैं। वर्ष 2019 और 2021 के बीच किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के पांचवें दौर के आंकड़ों से यह पता चलता है।
जिले में महिलाओं की साक्षरता दर 58.6 प्रतिशत है। यह ओडिशा की 69.5 प्रतिशत और भारत की कुल 71.5 प्रतिशत दर से कम है। हालांकि यह देश भर में अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के मामले में 58.3 प्रतिशत से कुछ बेहतर है। यहां महिलाओं का अधिक अनुपात कुल मिलाकर अनुसूचित जनजातियों के मूल्यांकन की तुलना में औसत बॉडी मास इंडेक्स से कम है। यह राज्य और राष्ट्रीय दोनों के आंकड़ों से भी बदतर है।
जिले में कम महिलाओं को ही चार या अधिक बार प्रसवपूर्व देखभाल (एएनसी) जांच सुविधा मिल पाती हैं। यह महिलाओं के लिए सुरक्षित गर्भावस्था सुनिश्चित करने की खातिर कुशल चिकित्सा पेशेवरों द्वारा की जाने वाली जांच होती है। पिछले पांच वर्षों के दौरान जन्म देने वाली महिलाओं के आधार पर जिले की लगभग आधी महिलाओं की चार बार जांच नहीं हुई। ओडिशा में आम तौर पर तकरीबन 78.1 प्रतिशत महिलाएं इस तरह की जांच कराती हैं।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के अप्रैल, 2021 के एक नोट के अनुसार महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रसव पूर्व देखभाल आवश्यक होती है, प्रसवपूर्व देखभाल के जरिये, गर्भवती महिलाएं सूक्ष्म पोषक तत्व की खुराक, एक्लम्पसिया रोकने के लिए हाइपरटेंशन के उपचार के साथ-साथ टेटनस के विरुद्ध टीकाकरण भी हासिल कर सकती हैं। प्रसवपूर्व देखभाल से एचआईवी जांच और एचआईवी का मां से बच्चे में संक्रमण रोकने के लिए दवाएं भी उपलब्ध करा सकती है। परिवार स्तर के आंकड़ों के विश्लेषण से पिछड़ने के भी कुछ संकेतक दिखाई देते हैं। जिले में केवल 16.1 प्रतिशत परिवारों को ही रसोई गैस (एलपीजी) जैसा खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन उपलब्ध है। स्वच्छ ईंधन में बायोगैस या बिजली से खाना पकाना भी शामिल रहता है। ओडिशा के मामले में यह आंकड़ा 34.7 प्रतिशत है। देश व्यापी स्तर पर यह 58.6 प्रतिशत है।
यहां परिवारों के पास राज्य (96.3 प्रतिशत) और राष्ट्रीय (96.5 प्रतिशत) की तुलना में बिजली कनेक्शन की दर भी कम (90.3 प्रतिशत) है। यहां केवल 80.1 प्रतिशत परिवारों को ही बेहतर पेयजल आपूर्ति उपलब्ध है और शौचालय की सुविधा तो केवल 68 प्रतिशत परिवारों को ही उपलब्ध है। ये दोनों आंकड़े ही ओडिशा और संपूर्ण देश की तुलना में कम हैं।
अनुसूचित जनजाति की महिलाएं देश व्यापी विकास संकेतकों में पिछड़ हुई हैं। उदाहरण के लिए अनुसूचित जनजातियों के लिए इंटरनेट की पहुंच काफी कम है। देश की कुल 33.3 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में केवल 20.6 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति महिलाओं ने ही कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है। इस मामले में मिजोरम जैसे पूर्वोत्तर के कई राज्य 67.6 प्रतिशत इंटरनेट उपयोग के साथ बेहतर प्रदर्शन करते हैं। नगालैंड (49.9 प्रतिशत), सिक्किम (76.7 प्रतिशत) और अरुणाचल प्रदेश (52.9 प्रतिशत) में भी इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादा है।
