देश में रेमडेसिविर की कमी से बढ़ी चिंता जल्द ही दूर हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक इस महीने के अंत या मई के पहले हफ्ते में इसकी करीब 74 लाख खुराक बाजार में आ सकती हैं।
अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड से रेमडेसिविर इंजेक्शन उत्पादन का लाइसेंस लेने वाली सात दवा विनिर्माताओं को औषधि नियामक से 18 नए संयंत्रों में इस दवा के उत्पादन की मंजूरी मिल गई है। इससे वे हर महीने इस दवा की पहले से 35 लाख खुराक ज्यादा बनाने लगेंगी। इस तरह उनकी यह दवा बनाने की स्थापित क्षमता 38 लाख खुराक महीने से बढ़कर करीब दोगुनी हो जाएगी।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाने के लिए युद्घ स्तर पर काम किया जा रहा है। मार्च तक देश में हर महीने इसकी 27 लाख खुराक बन रही थीं। इसे बढ़ाकर 41 लाख खुराक प्रति माह किया जा चुका है। इस महीने के अंत तक कंपनियों की स्थापित क्षमता में 35 लाख खुराक का इजाफा हो जाएगा और कुल क्षमता 74 लाख खुराक प्रति माह हो जाएगी।’ रेमडेसिविर की दैनिक आपूर्ति भी दोगुनी हो चुकी है। 10 अप्रैल को बाजार में रोजाना 70,000 खुराक पहुंच रही थीं और अब 1.40 लाख से 2 लाख तक खुराकें रोज पहुंच रही हैं। एक सूत्र ने बताया, ‘पिछले हफ्ते दो बार रेमडेसिविर की दैनिक आपूर्ति 2 लाख खुराक तक पहुंची है। पिछले हफ्ते निर्यात के लिए तैयार करीब 4 लाख खुराकें भी देसी बाजार में भेजी गई थीं।’
भारतीय औषध महानियंत्रक ने भी आपूर्ति बढ़ाने के लिए उत्पादन प्रक्रिया में कुछ ढिलाई दे दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘रेमडेसिविर का एक बैच बनने में आम तौर पर 15 दिन लगते हैं। इसमें परीक्षण जैसी जरूरतें भी शामिल हैं। अगर दवा तैयार करते समय खास तरह के विसंक्रमित (स्टेराइल) उपकरण इस्तेमाल हों तो परीक्षण की जरूरत नहीं होती। इससे दवा बनाने में कम समय लगेगा।’ इस तरह 15 दिन के बजाय 7-8 दिन में ही दवा का बैच तैयार हो जाएगा। केमिस्ट और फार्मा वितरक दुकानों के संगठन ऑल इंडिया ओरिजिन केमिस्ट्स ऐंड डिस्ट्रिब्यूटर्स के चेयरमैन जगन्नाथ शिंदे ने कहा कि आपूर्ति बढऩी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा, ‘अगले हफ्ते बाजार में आपूर्ति और बढ़ेगी और मई में बाजार में मांग से ज्यादा रेमडेसिविर रहने की उम्मीद है।’ शिंदे ने कहा कि अकेले कैडिला हेल्थकेयर ने ही मई में 20 लाख खुराक भेजने का वादा किया है। सिप्ला और हेटरो से भी नियमित आपूर्ति हो रही है। स्थिति जल्द ही सुधर जाएगी।
सरकार कोशिश कर रही है कि रेमडेसिविर सीधे अस्पतालों में पहुंच जाए। इससे कालाबाजारी पर रोक लगेगी। राष्ट्रीय मूल्य निर्धारण नियामक ने शनिवार को कहा था कि विनिर्माताओं ने अपनी मर्जी से दवा के दाम घटाए हैं। अब रेमडेसिविर के अलग-अलग ब्रांडों की एक शीशी 899 रुपये से 3,490 रुपये में मिल रही है। पहले कीमत 2,800 से 5,490 रुपये थी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘दवा की आपूर्ति तो बढ़ रही है मगर इसका इस्तेमाल समझदारी से हो। रेमडेसिविर उन्हीं मरीजों को दी जाए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत है।’ स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सकों से अपील की है कि वे अस्पताल में भर्ती और ऑक्सीजन पर निर्भर मरीजों को ही रेमडेसिविर देने की सलाह दें।
अप्रैल में रेमडेसिविर की किल्लत दो वजहों से हुई। कोरोना संक्रमण के मामले कम होने के बीच विनिर्माताओं ने उत्पादन में कटौती कर दी और एक बैच बनने में 15 दिन लग रहे थे। इसलिए अचानक उत्पादन बढ़ाने और बाजार में पहुंचाने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं।
