सरकारी बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) 3 लाख करोड़ रुपये की नई सुधार योजना का लाभ उठाने की तैयारी कर रहीं हैं तो दूसरी तरफ उनके साथ जुड़ी एक बड़ी समस्या उन्हें इसके लिए पात्र बनने से रोक सकती है। विभिन्न राज्यों में सरकारी विभागों पर डिस्कॉम का कुल मिलाकर 97,000 करोड़ रुपये का बकाया है। इन विभागों ने या तो बिजली बिल का भुगतान ही नहीं किया है अथवा भुगतान में देरी की है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य सरकारों ने डिस्कॉम को अब तक अतिरिक्त 60,743 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी का भी भुगतान नहीं किया है। विभिन्न राज्य सरकारें में एक खास आबादी को बिजली पर सब्सिडी देती हैं जिसका भुगतान बाद में सरकार की ओर से डिस्कॉम को किया जाता है।
डिस्कॉम का सबसे अधिक बकाया हरियाणा में है। यह रकम 46,193 करोड़ रुपये है। सब्सिडी की बकाये रकम के मामले में 18,313 करोड़ रुपये के साथ राजस्थान अव्वल है।
नई डिस्कॉम सुधार योजना के तहत विभिन्न मानदंडों में से एक मानदंड यह है कि राज्य सरकार को डिस्कॉम का बकाया चुकता करना होगा। पात्रता पूर्व मानदंडों के लिए कहा गया है कि राज्य सरकार को बकाये, सब्सिडी की रकम को चुकता करना है और राज्य में सभी सरकारी कार्यालयों में प्रीपेड मीटर स्थापित करने होंगे।
राज्य विद्युत नियामक आयोग भी प्रीपेड मीटर लगाए जाने को सुनिश्चित करने के प्रति जबावदेह होंगे। आयोगों को यह भी सुनिश्चित करना है कि नियमति तौर पर विद्युत शुल्क में संशोधन किया जा रहा है। दूसरी तरफ डिस्कॉम को अपनी तिमाही और वार्षिक खातों को प्रकाशित करने की जरूरत है। उन्हें विद्युत उत्पादन और पारेषण कंपनियों का बकाया भी समय पर चुकता करना है। केवल पूर्व गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करने वाली डिस्कॉम और राज्य ही योजना के लिए पात्र होंगे और उसी के मुताबिक बुनियादी ढांचे संबंधी कार्यों के लिए धन मुहैया कराया जाएगा। योजना में परिणाम आकलन मैट्रिक्स को भी शामिल किया गया है जिसके तहत कम से कम 60 अंक लाने वाले राज्य को ही केंद्र सरकार आगे की रकम जारी करेगी। योजना के तहत केंद्र सरकार का अनुदान कुल रकम का केवल 60 फीसदी ही तय है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकारें विद्युत क्षेत्र के ऋणदाता विद्युत वित्त निगम (पीएफसी) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) से उधार ले सकती हैं। हालांकि, उनसे ऋण लेने के लिए भी सुधार योजना के तहत निर्धारित मानदंडों का ही पालन करना होगा।
अधिकारी ने कहा, ‘पीएफसी और आरईसी घाटे में चलने वाली ऐसी डिस्कॉम को ऋण जारी नहीं करेंगे जिनके पास अपने परिचालन और वित्त घाटों को कम करने के लिए कोई खाका नहीं है।’ साथ ही पीएफसी और आरईसी को इस नई योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसियों के तौर पर भी नामित किया गया है।
