महाराष्ट्र में सरकार बदलने के साथ ही भारतीय समर्पित माल ढुलाई गलियारा निगम (डीएफसीसी) अब वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की किस्मत बदलने की उम्मीद कर रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को जानकारी मिली है कि कंपनी एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार से पिछली सरकार द्वारा परियोजना के लिए मिट्टी खुदाई पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को पलटने के लिए संपर्क कर रही है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘नई सरकार के पास बड़े स्तर के अफसरशाहों ने संपर्क किया और रेल मंत्री से भी अनुरोध की उम्मीद है।’
मामला फरवरी का है, जब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की पुणे की बेंच ने परियोजना के बुनियादी ढांचों के लिए पत्थर उत्खनन और पत्थर तोड़ने के खिलाफ आदेश दिए थे।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके त्रिपाठी ने जून में राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि एनजीटी आदेश का दायरा डीएफसीसी द्वारा की जा रही खुदाई पर लागू नहीं होती है। उन्होंने कहा, ‘एनजीटी पुणे के आदेश के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि बिना पर्यावरण मंजूरी के खदान और खनिज की मिट्टी के कार्यों के लिए परमिट जारी नहीं करें। इस कारण डीएफसी के कार्य रोक दिए गए।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पहले ही बताया था कि मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच इस मसले पर महीनों की बातचीत विफल रही।
सूत्रों ने बताया था कि इसका कारण राजनीतिक है, क्योंकि डीएफसी पत्थर खनन और पत्थर तोड़ने का काम नहीं कर रहा था। सरकार बदलने के साथ ही उम्मीद जताई जा रही है नियामक मंजूरी भी जल्द मिल जाएगी। हालांकि, नई सरकार बनने के दो महीने बाद भी पुराना आदेश ही लागू है।
इसी बीच, अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड रेल परियोजना जो कि बुलेट ट्रेन के नाम से जानी जाती है उसे तेजी से मंजूर करने में राज्य का हस्तक्षेप जून में नई सरकार बनने के बाद से सुर्खियों में रहा है। मुख्यमंत्री शिंदे ने भी हाल ही में अधिकारियों को निर्देश दिया था कि बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स और विक्रोली में भी जमीन की मंजूरी अगले एक महीने में दे दी जाए।
