दूरसंचार उपकरण बनाने वाली वैश्विक कंपनियों ने सरकार से मूल्यवर्द्धन मानदंडों की गणना के तरीके में व्यापक बदलाव करने का आग्रह किया है ताकि उन्हें प्रिफरेंस टु मेक इन इंडिया (पीएमआई) योजना के लिए सार्वजनिक खरीद नीति के तहत सरकारी ठेकों के लिए पात्रता मिल सके। इस योजना के तहत सरकारी वित्त पोषण वाली सभी परियोजनाओं के लिए घरेलू उत्पादों को अनिवार्य तौर पर प्राथमिकता दी गई है।
दूरसंचार ऑपरेटरों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के जरिये कुछ दिन पहले दूरसंचार विभाग को भेजा गया यह पत्र दो कारणों से महत्त्वपूर्ण है। मूल्यवद्र्धन मानदंडों में बदलाव के बिना नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग जैसी वैश्विक कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल द्वारा खरीदे जाने वाले 4जी उपकरणों के लिए आगामी आरएफपी में भाग नहीं ले पाएंगी। यदि इन मानदंडों में कोई बदलाव नहीं किया गया तो दूरसंचार गियर विनिर्माता देश में विनिर्माण एवं यहां से निर्यात के लिए निवेश करने से हिचकेंगे। जबकि सरकार चाहती है कि वे यहां अधिक निवेश करें और विशेष रूप से कंपनियां चीन से भारत की ओर रुख करें।
सीओएआई ने 29 अक्टूबर को दूरसंचार विभाग में प्रौद्योगिकी सदस्य को लिखे पत्र में आग्रह किया है कि मूल्यवद्र्धन की गणना करने में अन्य कारकों को शामिल किया जाए। उदाहरण के लिए, दूरसंचार गियर विनिर्माताओं द्वारा आरऐंडडी में किए गए बड़े निवेश और परिचालन एवं रखरखाव पर उनकी लागत आदि।
पत्र में यह भी आग्रह किया गया है कि दूरसंचार एवं नेटवर्किंग में भारतीय विनिर्माताओं की क्षमता पर वैज्ञानिक तरीके से एक अध्ययन किया जाए ताकि बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित हो सके। स्थानीय विनिर्माण क्षमता उत्पाद के भारतीय बाजार आकार के मुकाबले 50 फीसदी होनी चाहिए।
