उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में बन रहे रक्षा गलियारे में लगने वाली इकाइयां अब सीधे भारतीय नौसेना को अपने उत्पाद बेच सकेंगी। गलियारे में स्थापित होने वाले छोटे मझोले उद्यमों के साथ ही स्टार्टअप को भी इससे फायदा होगा।
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में रक्षा गलियारे की निर्माण इकाई यूपी इंडस्ट्रियल एक्सप्रेस वेज अथॉरिटीज (यूपीडा) और नौसेना की संस्था नेवल इनोवशन ऐंड इंडीजनाइजेशन ऑर्गनाइजेशन (एनआईआईओ) के बीच इस आशय के करार पर हस्ताक्षर किए गए। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुए इस आयोजन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत सहित अन्य प्रमुख सैन्य अधिकारी शामिल थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस योजना के माध्यम से स्वदेशीकरण में सुगमता के साथ ही साथ रक्षा उत्पादन तंत्र में और भी उद्योग जुड़ेंगे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने 101 सैन्य उपकरणों, हथियारों और वाहनों के आयात पर 2024 तक रोक लगाई है। अब इनका निर्माण घरेलू स्तर पर किया जाएगा। इस निर्णय का सबसे अधिक लाभ उत्तर प्रदेश को मिलेगा। प्रदेश की रक्षा विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों के प्रोत्साहन में यह मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी उत्तर प्रदेश के लिए यह अहम करार हुआ है। योगी ने कहा कि कोरोना संकट के दौर में भी प्रदेश में निवेश आना जारी रहा है।
उन्होंने बताया कि यूपीडा ने आईआईटी, बीएचयू एवं कानपुर के सहयोग से ‘सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स’ की स्थापना की है जो भारतीय नौसेना के सहयोग से उद्योग-तकनीकी संस्थान एवं उपभोक्ताओं के बीच एक मजबूत कड़ी का काम करेगा।
उत्तर प्रदेश में रक्षा गलियारे की स्थापना लखनऊ, कानपुर, आगरा, झांसी, चित्रकूट और अलीगढ़ जनपदों में की जा रही है। राज्य सरकार ने इन जनपदों के संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र को गलियारे में शामिल किया है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में अलीगढ़, कानपुर, झांसी एवं चित्रकूट जिलों में 1,289 हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि रक्षा गलियारे की स्थापना के लिए अधिग्रहित कर ली गई है। अलीगढ़ रक्षा गलियारे में अधिग्रहित भूमि निवेशकों को आंवटित कर दी गई है।