नए कृषि कानूनों पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार और किसानों के बीच चल रही बातचीत गुरुवार को भी बेनतीजा रही। किसान संगठनों के प्रतिनिधि सरकार से हाल में पारित नए कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग पर अड़े रहे। दोनों पक्षों के बीच तल्खी इस कदर रही कि किसान प्रतिनिधियों ने करीब 8 घंटे तक चली लंबी बैठक के दौरान सरकार की तरफ से दिए जाने वाले चाय, नाश्ता आदि लेने से भी इनकार कर दिया।
सरकार ने करीब 40 किसान नेताओं को आश्वासन दिया कि उनकी सभी वाजिब चिंताओं पर विचार किया जाएगा। किसान नेताओं पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने नए कृषि कानूनों में तथाकथित कई त्रुटियों का हवाला दिया। नए कृषि कानून इस वर्ष सितंबर में पारित हुए थे। कृषि मंत्रालय ने ट्वीट में कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों द्वारा व्यक्त चिंताओं पर बात की। दोनों पक्षों के बीच चल रही बातचीत में कृषि मंत्री सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
तोमर ने बताया कि अगली बैठक 5 दिसंबर को दिन में 2 बजे होगी। सरकार नए कृषि कानूनों के तहत एपीएमसी मंडियों से बाहर परिचालन करने वाले कारेाबारियों के पंजीयन के लिए प्रावधान के लिए तैयार है। तोमर ने कहा कि सरकार ने यह भी कहा कि वह एपीएमसी मंडियो और निजी मंडियों के लिए समान अवसर सृजित करने पर विचार करेगी। सरकार के सूत्रों ने कहा कि किसानों के साथ बैठक आगे भी जारी रहेगी क्योंकि बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। दूसरी तरफ बैठक समाप्त होने के बाद किसान नेताओं ने कहा कि बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी समूह सदस्य प्रतिभा शिंदे ने कहा, ‘हमारी तरफ से बातचीत समाप्त हो चुकी है।’ किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सरकार ने एमएसपी और खरीद प्रणाली पर कई प्रस्ताव दिए हैं, जिन पर शुक्रवार को किसान संगठन आपसी चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद ही वे शनिवार को प्रस्तावित बैठक में शामिल होंगे। कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जताते हुए अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण सम्मान वापस करने की घोषणा की।
