चुनाव के इस मौसम में जहां पेंटर, प्रिंटिंग व्यवसायी और बैनर वालों का कारोबार ठंडा ही रहा वहीं हमेशा की तरह शराब का व्यवसाय उफान पर रहा है।
हर बार की तरह इस बार अंगूर की बेटी का जादू मतदाताओं और कार्यकर्ताओं के सर चढ़ सिर कर बोला है। अकेले अप्रैल के महीनें शराब पीने वालों ने उत्तर प्देश में सारे रिकार्ड तोड़ डाले हैं।
पुलिस के साथ-साथ आबकारी विभाग ने भी कच्ची शराब और तस्करी कर लायी जाने वाली शराब को पकड़ कर साल भर का अपना कोटा इसी महीने पूरा कर डाला है। इसी सप्ताह में उत्तर प्रदेश पुलिस और आबकारी विभाग ने 12000 लीटर कच्ची शराब अवैध रुप से बनते हुए पकड़ी है।
इसके अलावा पंजाब, हरियाणा और हिमाचल से तस्करी कर लायी जा रही विदेशी शराब के दो ट्रक पकड़े गए हैं। उत्तर प्रदेश से ज्यादा शराब की तस्करी उत्तरांचल में दर्ज की जा रही है जहां हरियाणा और पंजाब सीमा से शराब की धड़ल्ले से आवक हो रही है।
आबकारी विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि बीते साल के अप्रैल महीने के मुकाबले इस साल शराब की खपत दोगुनी हुयी है। मतदान के समय तीन दिन की शराब बंदी को देखते हुए ज्यादातर पार्टियों के प्रत्याशियों ने शराब की अग्रिम खरीद कर डाली है। शराब के कारोबारियों का कहना है कि बिक्री में अचानक तेजी आयी है।
इस तेजी की खास वजह चुनाव प्रचार में लगे गरीब तबके के लोगों को नित्य पिलायी जाने वाली शराब है। इसमे देसी शराब की बिक्री में सबसे ज्यादा इजाफा देखा जा रहा है। आबकारी विभाग के आंकड़ों पर ध्यान दें तो पता चलता है कि जहां बीते साल अप्रैल के महीने में लगभग 9 लाख बल्क लीटर देशी शराब बिकी थी वहीं इस साल अभी तक 14 लाख बल्क लीटर देसी शराब बिक चुकी है।
इसी तरह अगर विदेशी शराब पर ध्यान दें तो बीते साल इसी माह में 2.5 लाख बोतले अलग-अलग ब्रांड की बिकी थी जबकि इस साल के अप्रैल में अब तक 3.2 लाख बोतलें बिक चुकी हैं। जिला आबकारी अधिकारी धीरज सिंह के मुताबिक देश के दूसरे राज्यों से लायी जा शराब पर खास नजर रखी जा रही है।
शराब के कारोबारियों का कहना है कि अगर सरकारी एजेंसियां तस्करी और कच्ची शराब पर काबू पा लेतीं तो शराब की असल खपत दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती। उनका कहना है कि चुनाव ने इस साल जाड़े के मौसम को भी पीछे छोड़ दिया है जब शराब की खपत बढ़ती है। गौरतलब है उत्तर प्रदेश की सरकार ने इस साल अपने आबकारी नियमों में परिवर्तन भी कर दिया है जिसके बाद सूबें में शराब की कीमतो में भारी इजाफा हो गया है।
देखा यह भी जा रहा है कि भारी तादाद में चुनाव से जुड़े लोगों को बीते साल का कोटा भी कम कीमत पर खरीद कर पिलाया जा रहा है जो कि आबकारी नियमों के मुताबिक गलत है। शराब के कारोबारियों का कहना है कि चुनाव में ज्यादातर पुलिस वालों की डयूटी लग जाने से नकली शराब की बिक्री पर और तस्करी पर रोक नहीं लग पा रही है।
बहरहाल जो भी हो इस चुनाव के बहाने आबकारी विभाग को जम कर राजस्व मिल रहा है और कारोबारियों की जेबें भी गरम हो रही है। उत्तर प्रदेश के साथ बिहार में भी चुनाव के दौरान देसी शराब की बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अभी इस बात की समीक्षा नहीं की गयी है कि चुनाव के दौरान शराब की कुल बिक्री कितनी रही, लेकिन अनुमान के मुताबिक अप्रैल के दौरान देसी शराब की खपत में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले कम से कम 50 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।
वे कहते हैं कि चुनाव के दौरान मुख्य रूप से गांवों में शराब की खपत बढ़ जाती है और ग्रामीणों के बीच मुख्य रूप से देसी शराब पीने का ही प्रचलन है।
