राज्यसभा में चल रहे गतिरोध के खत्म होने की आज संभावना नजर आई। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने एक भावुक अपील करते हुए कहा कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के लोग बैठकर बात करें। उन्होंने कहा, ‘मैं इस प्रतिष्ठि सदन के दोनों पक्षों से बातचीत करने का आग्रह करता हूं, जिससे कि सदन का कामकाज सुचारु रूप से चल सके।’
सभापति की बात मानते हुए विपक्षी दलों ने बांध सुरक्षा विधेयक पर चर्चा को लेकर सहमति जताई, लेकिन कहा कि सरकार को यह विधेयक संसद की समिति के पास भेजना चाहिए, जिससे इस पर व्यापक परामर्श हो सके क्योंकि कुछ मामलों में इससे केंद्र व राज्यों की शक्तियों के विभाजन का उल्लंघन हो रहा है।
बहरहाल सभापति ने साफ किया कि विपक्षी दल के सदस्य सहयोग करें या नहीं, दुव्र्यवहार करने वाले सांसद जब तक माफी नहीं मांगते, उनका निलंबन वापस नहीं लिया जाएगा। नायडू ने कहा, ‘मुझे मीडिया में आई खबरों से बहुत दुख पहुंचा है कि पिछले सत्र में किए गए दुव्र्यवहार पर कोई खेद जताने से इनकार करने की बात कही गई है, जिसकी वजह से सांसदों का निलंबन हुआ है। तब आगे की राह क्या है? आप अपने खराब व्यवहार पर खेद नहीं जताना चाहते, लेकिन चाहते हैं कि सदन अपना फैसला वापस ले ले। क्या यह लोकतंत्र के सिद्धांतों को कायम रखना है?’
सभापति ने कहा ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी अशोभनीय आचरण के चलते, नियमानुसार निलंबन की कार्रवाई की गई है और सदस्यों के अफसोस जाहिर करने के बाद उनका निलंबन वापस लिया गया है। लेकिन सदस्यों ने कोई पछतावा जाहिर नहीं किया है। मनुष्य ही गलतियां करता है और मनुष्य ही गलतियों को सुधारता है। सुधार को न तो कोई अस्वीकार कर सकता है और न ही गलत को लेकर अडिय़ल रुख अपनाया जा सकता है। उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने महंगाई का जिक्र करते हुए इस पर चर्चा कराने की मांग की। लेकिन उपसभापति हरिवंश ने उनकी इस मांग को स्वीकार नहीं किया और कहा कि यह समय प्रश्नकाल का है जिसमें सदस्य अपने पूरक सवाल पूछते हैं। अपनी मांग स्वीकार नहीं किए जाने के बाद सबसे पहले कांग्रेस के सदस्यों ने वाकआउट किया।
देश में प्रमुख बांधों की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रावधानों वाले विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई तथा सरकार ने यह स्पष्ट किया कि इस विधेयक के जरिए किसी राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है।
बांध सुरक्षा विधेयक, 2021 में बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव है। बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति नीतियां बनाएगी और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण के लिए नियमों की अनुशंसा करेगी।
सांसदों ने कहा कि बांद राज्य सरकार का विषय है और केंद्र, राज्य के लिए नियम नीहं बना सकता। तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) और कांग्रेस के सदस्यों ने कहा कि राज्य सरकारों को बांध की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए और उनका रखरखाव करना चाहिए।
इस विधेयक पर विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया जिनमें द्रमुक के तिरुचि शिवा द्वारा लाया गया संशोधन प्रस्ताव भी शामिल है।
