नवाबों के शहर लखनऊ में सस्ती सवारी साइकिल के आजकल ठाठ हो गए हैं।
मुफ्त साइकिल बांटने के मुख्यमंत्री मायावती के ऐलान के बाद कई सालों से वीरान पड़े प्रदेश के साइकिल बाजार में एक बार फिर रौनक लौट आई है।
लखनऊ का साइकिल बाजार लाटूश रोड हो या कानपुर का बिरहाना रोड या फिर मेरठ का बेगमपुल, हर जगह साइकिलों का टोटा पड़ गया है क्योंकि सूबे में दसवीं कक्षा पास करने वाली छात्राओं को सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना के तहत साइकिल और 15,000 रुपये नकद दिए जा रहे हैं।
मायावती के जन्मदिन 15 जनवरी को शुरू इस योजना के तहत दसवीं पास छात्राओं को देने के लिए भारी तादाद में साइकिल खरीदी जा रही हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सबसे ज्यादा मांग 20 इंच की साइकिलों की है। अकेले लखनऊ में ही 10,000 से ज्यादा साइकिलों की खरीद के ऑर्डर आ चुके हैं। जानकारों का कहना है कि योजना के तहत सालाना 30 करोड़ रुपये की साइकिलें खरीदी जाएंगी।
एक प्रमुख साइकिल कंपनी के प्रतिनिधि के मुताबिक अचानक मांग आने से आपूर्ति की समस्या खड़ी हो गई है। पंजाब न्यू साइकिल के महेश स्वरूप का कहना है कि करीब 2,500 रुपये की इन साइकिलों के लिए रोजाना सैंकड़ों ऑर्डर आ रहे हैं। खास बात यह कि सरकार का आदेश है कि इन साइकिलों में सभी जरूरी कल-पुर्जे लगे होने चाहिए।
लाइट साइकिल स्टोर्स के मालिक फैयाज भाई का कहना है कि लोकसभा चुनावों के पहले एक लाख से ज्यादा साइकिलों की आपूर्ति करना है, जो मुश्किल नजर आ रहा है। उनके मुताबिक, दसवीं के परिणाम आने के बाद तो इसकी मांग और बढ ज़ाएगी।
राजधानी के सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि इस योजना से साइकिल युग की फिर से शुरुआत होगी, जो बीते कई सालों से खत्म होती जा रही थी। लखनऊ के व्यापारी नेता चंद्र कुमार छाबड़ा का कहना है कि जर्जर हो रहे साइकिल उद्योग में सरकार के इस आदेश से फिर जान आ गई है। उनका कहना है कि पहले लखनऊ में रोजाना करीब 250-300 साइकिलों की बिक्री होती थी, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर तकरीबन 10 गुना हो गया है।
उत्तर प्रदेश में 10वीं पास सभी छात्राओं को मिलेगी साइकिल
सरकारी आदेश से साइकिलों की मांग अचानक बढ़ी, आपूर्ति का संकट
जर्जर हो रहे साइकिल उद्योग में लौटी जान
राज्यभर में करीब एक लाख साइकिलों की होगी सरकारी खरीद
