सीमा शुल्क विभाग ने आयात करने वाली कंपनियों को गोपनीय लागत ढांचे का खुलासा करने संबंधी दस्तावेज दिखाए जाने की जरूरत को लेकर डर दूर करने की कवायद की है। सकार ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के दुरुपयोग को लेकर सख्ती कर दी है। बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि विभाग के पास अभी भी माल निकालने में देरी करने की शक्तियां हैं।
नया नियम 21 सितंबर से लागू होगा, जिसमें आयातकों को सीमा शुल्क अधिकारियों प्रमाणपत्र दिखाना होगा कि किस देश से आयात हो रहा है, जिससे पता चल सके कि क्या उन देशों में इस माल में मूल्यवर्धन हुआ है, जिनके साथ भारत का समझौता है।
इस तरह के समझौतों में प्रावधान है कि जिन देशों से आयात हो रहा है, वहां पर तीसरे देश से कच्चे माल के आयात की स्थिति में कम से कम उस माल में 35 प्रतिशत मूल्यवर्धन किया गया हो। आयात करने वाली कंपनियों को डर है कि इससे उन्हें उत्पादों के विस्तृत लागत ढांचे की जानकारी देनी होगी। इस डर को देखते हुए विभाग की ओर से अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) में साफ किया गया है कि इस नियम में लागत का ब्रेकअप देना या उत्पादन की प्रक्रिया के बारे में बताना अनिवार्य नहीं होगा। एक एफएक्यू में कहा गया है, ‘उपलब्ध होने पर यह दाखिल किया जाना चाहिए।’
