पिछले साल, करीब 1.07 करोड़ छात्र चीन द्वारा आयोजित दुनिया के सबसे बड़े कॉलेज प्रवेश परीक्षा, गाओकाओ में शामिल हुए थे। हालांकि, भारत इस साल चीन की गाओकाओ परीक्षा को भी पीछे छोड़ सकता है क्योंकि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी 13 भाषाओं में कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) आयोजित करने की तैयारी कर रही है।
वर्ष 2020-21 में 12वीं कक्षा की परीक्षा पास करने वाले छात्रों की संख्या से जुड़े डेटा उपलब्ध नहीं है लेकिन शैक्षिक एकीकृत जिला सूचना तंत्र (यूडीआईएसई) केआंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2019-20 में 12वीं कक्षा में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या 1.27 करोड़ है। अगर इनमें से 90 प्रतिशत छात्र सीयूईटी के लिए तैयारी करते हैं तब देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सीट पाने के लिए देश भर के करीब 1.1 करोड़ से अधिक छात्र इस परीक्षा में बैठेंगे।
वर्ष 2021-22 में यह संख्या अधिक होने की उम्मीद है क्योंकि 12 वीं कक्षा में अब नामांकन बढ़ रहा है। वर्ष 2017-18 में, 1.2 करोड़ छात्रों का 12वीं कक्षा में नामांकन कराया गया था। वर्ष 2012-13 की तुलना में, 12वीं कक्षा के नामांकन में 17.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में 12 वीं कक्षा में पंजीकृत 1.27 करोड़ छात्रों में से 48.4 प्रतिशत लड़कियां थीं।
भारत में फिलहाल में मेडिकल और इंजीनियरिंग स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए एक केंद्रीय प्रवेश परीक्षा आयोजित कराई जाती है। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा पिछले साल हुई जिसके लिए 11 लाख उम्मीदवारों ने अपना नामांकन कराया था जबकि 16 लाख बच्चों ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के लिए पंजीकरण किया था।
अब तक, इंजीनियरिंग, मेडिसिन और कानून की पढ़ाई को छोड़कर देश के अधिकांश स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कोई निर्धारित पैटर्न नहीं था। दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे कुछ विश्वविद्यालयों ने बारहवीं कक्षा के अंकों के आधार पर नामांकन कराने का मौका दिया जबकि अन्य ने प्रवेश परीक्षाएं आयोजित कीं। सरकार ने पहले केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए एक सामान्य प्रवेश परीक्षा शुरू की थी लेकिन इससे कुछ चुनिंदा ही विश्वविद्यालय जुड़े थे। करीब 15 विश्वविद्यालयों ने 2019 में सीयूसीईटी के माध्यम से परीक्षा आयोजित कराई और 2020 में यह तादाद घटकर 14 हो गई थी। 2021 में केवल 12 विश्वविद्यालय ही सीयूसीईटी के माध्यम से परीक्षा आयोजित करा रहे थे। इस बीच, 12वीं कक्षा के अंकों पर अधिक निर्भरता की वजह से ग्रेड बढ़ा और कट-ऑफ भी अधिक जाने लगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा पहले किए गए एक विश्लेषण के मुताबिक 2010 और 2021 के बीच हुई केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षाओं में 95 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले छात्रों की संख्या सात गुना बढ़ गई थी। पिछले साल लगभग 14 लाख छात्रों ने सीबीएसई परीक्षा में शामिल होने के लिए पंजीकरण कराया था। वर्ष 2010 में, सीबीएसई की 12वीं कक्षा की परीक्षा में शामिल होने वाले केवल 1,202 छात्रों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए थे लेकिन 2021 में यह संख्या 70,004 थी और 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाले छात्रों की संख्या 58 गुना बढ़ गई थी।
हालांकि सीयूईटी के तहत उपलब्ध सीटों की सटीक संख्या का अभी कोई अंदाजा नहीं मिला है लेकिन उच्च शिक्षा से जुड़े अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 540,270 छात्र ने नामांकन कराया था जबकि देश भर में केंद्रीय विश्वविद्यालयों से संबद्ध और घटक कॉलेजों में 736,623 लोगों ने नामांकन कराया। स्नातक पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्रों की कुल संख्या 3 करोड़ से अधिक थी। राज्य और निजी कॉलेज भी प्रवेश के लिए सीयूईटी का उपयोग कर सकते हैं।
