कर्नाटक उच्च न्यायालय ने साल 2010 में मंगलूर में हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे में एयर इंडिया, एयरपोर्ट अथॉरिटी और डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने वाली मंगलूर की अदालत ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहींं किया और इस हादसे से संबधित अदालत की जांच रिपोर्ट को नजरअंदाज किया।
एयर इंडिया एक्सप्रेस का बोइंग 737 विमान 22 मई, 2010 को मंगलूर एयरपोर्ट पर हादसे का शिकार हो गया था और इसमें 152 यात्रियों व क्रू के छह सदस्यों की मौत हो गई थी। दुबई से लौट रहा विमान रनवे पर फिसलकर हादसे का शिकार हो गया था। मंगलूर की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने साल 2013 में विमानन कंपनी व सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एक निजी शिकायत पर समन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि मौत की वजह लापरवाही थी। यह शिकायत 812 फाउंडेशन के नारायण पई और यशवंत शेनॉय ने दर्ज कराई थी।
शिकायत में कहा गया था कि यह दुर्घटना एयर इंडिया, एएआई और डीजीसीए की तरफ से जानबूझकर की गई लापरवाही का नतीजा थी। विमानन कंपनी और एएआई ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में मजिस्ट्रट के आदेश को चुनौती देते हुए आपराधिक याचिका दाखिल की। पिछले शुक्रवार को न्यायमूर्ति अशोक जी. निजागन्नावर ने अपने आदेश में कहा, मौजूदा मामले में मजिस्ट्रेट ने कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी की तरफ से जमा कराई गई रिपोर्ट पर विचार नहीं किया। इस जांच के निष्कर्ष को मजिस्ट्रेट की तरफ से नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए था।
अदालत ने कहा कि कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी रिपोर्ट में ऐसा संकेत नहीं था कि याची (विमानन कंपनी व सरकारी अधिकारी) इस हादसे के जिम्मेदार थे। मजिस्ट्रेक की अदालत ने इस मामले में कार्यवाही शुरू करने के लिए अपराध संहिता की धारा 197 पर भरोसा किया था। धारा 197 में सरकारी कर्मचारियों पर सरकार की पूर्व अनुमति से अभियोग चलाने का प्रावधान है।
